500 करोड़ रूपए भी नहीं किए वापस
सरकार ने चार साल पहले किसानों को बोनस देने के लिए 500 करोड़ रूपए मंडी बोर्ड से लिया था, जो अभी तक वापस नहीं किए हैं। इसके पहले भी सरकार अलग-अलग सालों में करीब 600 करोड़ रूपए ले चुकी है, जिसे भी सरकार ने वापस नहीं किया है। सरकार पर बोर्ड की लेनदारी बढ़ती जा रही है। अगर सरकार मंडी बोर्ड को यह राशि वापस कर दे तो सभी मंडियों को ए ग्रेड बनाने के साथ इन मंडियों में नए-नए तरीके से व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा सकेंगी।
एक्ट से गड़बडाई अर्थव्यवस्था
केन्द्र सरकार के नए मंडी एक्ट से प्रदेश के मंडियों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। मंडियों की आय आधी से भी कम हो गई है। जबकि मंडी टैक्स से मंडी बोर्ड को करीब 12 सौ करोड़ रूपए का टैक्स प्रति वर्ष मिलता था अभी तक बोर्ड को 600 करोड़ रूपए भी नहीं मिल पाया है। टैक्स से मिलने वाली राशि में से आधी राशि बोर्ड किसानों पर और किसान विकास कार्यों पर खर्च करता है।