विश्वविद्यालय, परीक्षा, पाठ्यक्रम और विद्यार्थियों से जुड़े जो भी प्रस्ताव रखे जाते हैं, उसमें वे सरकार का पक्ष रखते हैं। साथ ही विवि के जो भी प्रस्ताव उन्हें उचित नहीं लगते हैं उसे वे अस्वीकार करते हुए उन बातों को सरकार तक पहुंचाने का काम करते हैं। हालत यह है कि वर्तमान में किसी भी निजी विश्वविद्यालयों में इन सदस्यों की नियुक्ति सरकार ने नहीं की है। कई विश्वविद्यालयों ने सदस्यों
की नियुक्त के संबंध में भी उच्च शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है| क्योंकि वे ये जानते हैं कि कार्यपरिषद में जो भी निर्णय हो उसमें सरकार की राय होना जरूरी है। कुछ इसी तरह के प्रावधान निजी विवि के एक्ट में भी है। नियुक्ति की प्रक्रिया: उच्च शिक्षा विभाग गवर्निंग बॉडी के सदस्यों की नियुक्ति का प्रस्ताव मंत्री के यहां भेजता है। मंत्री की सहमति के बाद प्रस्ताव सीएम के पास जाता है।
सीएम की सहमति के बाद उसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है और राज्यपाल नियुक्ति करते हैं।
उच्य शिक्षा विभाग पिछले 6 वर्षों से निजी विवि में सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में प्रस्ताव मंत्रियों के यहां भेज रहा है, लेकिन मंत्रियों के यहां से प्रस्ताव की फाइलें वापस नहीं लौटती हैं। यह स्थिति आज से नहीं बल्कि पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया के समय से है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी सदस्यों के नियुक्त नहीं हुई। इसके बाद वर्तमान मंत्री मोहन यादव के पास भी सदस्यों के नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन यहां भी फाइल ठंडे बस्ते में है।