यह कमेटी ओपन-फोरम पर सबसे चर्चा के बाद तय करेगी कि कलेक्टर का नया नाम क्या प्रस्तावित किया जाए। इसमें सुशासन संस्था और प्रशासन अकादमी से भी इस मुद्दे पर सलाह ली जाएगी। इतना ही नहीं कलेक्टरों, तहसीलदारों और शहरी व पंचायत प्रतिनिधियों तक से इस पर राय-शुमारी की जाएगी। केसरी कमेटी की पूरी कोशिश है कि यह कवायद औपचारिक न होकर व्यावहारिक बने, ताकि नए नाम बेहतर आ सकते।
ये किया तय-
– एसएएस, तहसीलदार, पंचायत, शहरी व ग्रामीण प्रतिनिधि से संवाद
– १३ फरवरी को उक्त प्रतिनिधियों व कलेक्टरों के साथ बैठक
– विधायकों-सांसदों व वल्लभ-भवन में पदस्थ अफसरों से चर्चा।
– प्रशासन अकादमी व सुशासन संस्थान की रिपोर्ट पर चर्चा व सलाह
– नाम में क्या बदलाव करने या न करने को लेकर सलाह-मशविरा
– मप्र व दिल्ली में पदस्थ अफसरों व संभागायुक्तों से सलाह
– दो नाम प्रस्तावित जिला एडमिनिस्टर और जिला कमिश्नर
– खुले तौर पर सभी से नाम बदलाव के लिए सुझाव मांगे जाएंगे
– 13 व 14 फरवरी और 22 व 23 फरवरी को सलाह होगी।