वर्तमान प्रावधान के तहत माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की महापरिषद के लिए राज्यपाल द्वारा किसी भी विश्वविद्यालय के एक कुलपति को सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है।
हाल ही के विधानसभा सत्र में पारित हुए संशोधन विधेयक के तहत यह अधिकार अब राज्य सरकार के पास रहेगा। विधानसभा द्वारा पारित यह विधेयक राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। इस पर आनंदी बेन ने कहा कि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
सरकार के दो फैसलों पर उठाए सवाल –
चर्चा के दौरान आनंदी बेन ने राज्य सरकार के दो फैसलों पर सवाल भी उठाए। इसमें एक मामला इंदौर और दूसरा उज्जैन विश्वविद्यालय से जुड़ा है। इन विश्वविद्यालयों में राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा ५२ का प्रयोग करते हुए कुलपति को हटा दिया था।
उज्जैन विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन कुलपति द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार ने यहां धारा 52 लगाई। यह सीधे-सीधे धारा ५२ का दुरुपयोग है। यही नहीं यहां राजभवन द्वारा कुलपति नियुक्त किए जाने के फैसले को गलत ठहराने का प्रयास किया गया। हाईकोर्ट ने भी राज्यपाल के फैसले को सही माना। इसी प्रकार इंदौर विश्वविद्यालय में भी धारा ५२ का गलत तरीके से उपयोग किया गया।
अच्छा है मेरे सफल प्रयोग यहां यथावत रहेंगे –
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभालने वाली आनंदी बेन ने कहा कि मध्यप्रदेश में कई बेहतर काम किए। सुनकर अच्छा लगा कि मेरे द्वारा शुरू किए बेहतर काम जारी हैं। मध्यप्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश का राजभवन भी आमजन के लिए खुला रहेगा। मेरे कार्यकाल में स्कूलों को गोद लिया गया था, अब यह जिम्मेदारी राजभवन उठाएगा। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में राज्यपाल रहते हुए लिए गए फैसलों से संतुष्ट हैं।