– पर्दा डालती रही पिछली सरकार
करीब दस साल पहले उजागर हुए सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले को तत्कालीन भाजपा सरकार दबाती रही। जस्टिस जेके जैन आयोग ने रिपोर्ट में बड़े घोटाले की बात कही थी। लेकिन, जिम्मेदारों पर कार्रवाई किए जाने के बजाय तत्कालीन सरकार जांच के नाम पर इस पर पर्दा डालती रही। इंदौर नगर निगम के माध्यम से पेंशन बांटने का राज्य में यह सबसे बड़ा घोटाला रहा। घोटाले के समय कैलाश विजयवर्गीय इंदौर नगर निगम के महापौर थे। बाद में राज्य सरकार में मंत्री हो गए और अब भाजपा महासचिव हैं। राजनीतिक कारणों से भाजपा इसे दबाए रही।
– 36 हजार पेंशनधारियों का रिकॉर्ड गायब
जांच रिपोर्ट के मुताबिक 26 फरवरी 2000 को हुई एमआइसी की बैठक में पेंशन बांटने के लिए अध्यादेश को ही बदल दिया गया। पेंशन राष्ट्रीयकृत बैंक या डाकघर से वितरित होना था। लेकिन, इसे सहकारी संस्थाओं से बांटने का निर्णय किया गया। निगम के पास 56358 में से 36358 पेंशनधारियों का रिकॉर्ड ही नहीं मिला।
जिन्होंने गरीबों का पैसा खाया, वे बचेंगे नहीं। कैबिनेट कमेटी ने रिपोर्ट के परीक्षण का काम लगभग पूरा कर लिया है। रिपोर्ट इसी सत्र में पेश की जा सकती है।
– सज्जन सिंह वर्मा, पीडब्ल्यू मंत्री
पेंशन घोटाला की जांच रिपोर्ट के परीक्षण के लिए गठित कैबिनेट कमेटी की बैठक बुधवार को होने वाली है। प्रयास है कि कमेटी जल्द अपनी अनुशंसाएं दे दे। प्रयास है कि इसी सत्र में रिपोर्ट पेश हो जाए।
– कमलेश्वर पटेल, पंचायत मंत्री