गायों के गले में रेडियम बेल्ट डाला जाएगा ताकि अंधेरे में रेडियम के चमकने से ये पता लग सके कि वहां पर गाय बैठी हुई है। गौवंश के सींगों पर भी रेडियम लगाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने कुछ जगह पर ये प्रयोग भी किया है जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। अन्य राज्यों में भी इस तरह का प्रयोग हो रहा है। प्रदेश में पहले भी ये प्रयोग किया जा चुका है।
नेशनल हाईवे पर वाहन अंधी रफ्तार से दौड़ते हैं जिससे टकारकर सड़क पर बैठी गाय या तो गंभीर रुप से घायल हो जाती है या फिर मौत का शिकार हो जाती है। आमतौर पर बेसहारा गाय पक्का स्थान देखकर सड़क पर बैठ जाती हैं, रात के अंधेरे में ये नजर नहीं आतीं जिससे ये हादसे का शिकार होती हैं। गायों के गले में रेडियम बेल्ट डालने या उनके सींगों पर रेडियम लगाने से उनको इन दुर्घटनाओं से बचाया जा सकता है। अंधेरे में रेडियम चमकता है जिसका फायदा गौवंश को मिलेगा।
10 लाख गाय बेसहारा:
प्रदेश में बेसहारा गौवंश की संख्या बहुत ज्यादा है। प्रदेश में करीब दस लाख गौवंश है जो कि बेसहारा है। बड़े पैमाने पर निराश्रित गौवंश को सहारा देने के लिए ही गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश में लाखों की संख्या में गायों के बेसहारा होने के कारण यहां सड़क दुर्घटनाओं की संख्या ज्यादा है। प्रथम चरण में जो एक हजार गौशालाओं का निर्माण हो रहा है उनमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि वे हाईवे के किनारे ज्यादा हों ताकि निराश्रित गौवंश को इन गौशालाओं में पनाह मिल सके। छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में इस तरह के रेडियम बेल्ट अनिवार्य किए गए थे। यहां पर बड़े पैमाने पर इन बेल्ट का प्रयोग होता है।
– हम गौवंश को सड़क हादसों से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट या सींगों पर रेडियम लगाने पर विचार कर रहे हैं। कुछ जगह हमने प्रयोग कर देखा है जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हंै। – लाखन सिंह यादव पशुपालन मंत्री,मप्र –