राज्यपाल ने कहा कि जो सुख पैसे से खरीदें जाते हैं, वह भौतिक सुख प्रदान करते है। आत्मिक सुख खरीदा नहीं जा सकता। वह सेवा कार्यों से ही मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी से जनता की बहुत अपेक्षाएँ है। अधिकारी का संवेदनशील होना बहुत जरुरी है। प्रशासनिक सेवा किसी की मदद से मिलने वाली खुशी के अनुभवों और विकास के नये आयाम कायम करने का सुअवसर है। यह चुनौतीपूर्ण और जवाबदेह जिम्मेदारी है। जनता से सीधे जुड़े कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार दिल-दिमाग को खुला रखकर कार्य करें। इस मौके पर आरजीपीवी नरोन्हा प्रशासन अकादमी की महानिदेशक दीप्ति मुखर्जी ने संस्थान के संबंध में जानकारी दी। स्मृति चिन्ह भेंट कर अकादमी का अवलोकन करने का आमंत्रण दिया। संचालक सोनाली पोक्षे वायंगणकर ने कार्यक्रम का संचालक किया। प्रशिक्षु अधिकारी आर. विवेक ने प्रशिक्षण के अनुभवों को साझा किया।