शिफ्टिंग के दौरान सिंह के घायल होने का मुद्दा गरमाने के बाद शुक्रवार को वन विहार प्रबंधन ने मामले को टालने के लिए नए तर्क गढऩे की कोशिश की। घायल सिंह पर सवाल होने पर वन विहार के अधिकारियों ने कहा कि सिंह को शिफ्टिंग के दौरान चोट नहीं लगी बल्कि पिंजरे से निकलते समय घबरा जाने से टकराकर वह घायल हुआ। जबकि वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर और वन्य प्राणी चिकित्सक स्वीकार कर चुके हैं कि चोट शिफ्टिंग के दौरान ही आई।
पूरा ध्यान रखा जाता है
शिफ्टिंग के दौरान वन्य प्राणियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस शिफ्टिंग में भी सभी मानकों का पालन किया गया। गति अधिक भी रही तो ऐसा कोई नियम नहीं है जो इसको प्रतिबंधित करता हो। शिफ्टिंग में क्या ऐसी चोटें तो हाउसिंग में भी आ जाती है। यह कोई बड़ा मामला नहीं है।
— डॉ. अतुल गुप्ता, चिकित्सक, वन विहार
वन्य प्राणी तो यात्रा में खड़े रहते हैं ऐसे में बिल्कुल स्पष्ट नियम हैं कि शिफ्टिंग के दौरान वाइल्ड लाइफ का ट्रेंड ड्राइवर वाहन ऐसे चलाए कि प्राणी को यात्रा या गति का आभास कम से कम हो। इस मामले में साफ तौर पर दिख रहा है कि गति ज्यादा रही है जिससे सिंह को चोटें आईं। मामले की जांच होनी चाहिए।
— केसी मल्ल, सेवानिवृत्त, एसीसीएफ एवं वन्य प्राणी विशेषज्ञ
जिस चिकित्सक ने वन्य प्राणी की शिफ्टिंग की, उसके घायल होने के बाद वह ही जांच करके कह रहा है कि मामला सामान्य चोट का है। इस मामले में सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को शिकायत कर रहा हूं, मेरी मांग है की सीजेडए की टीम सिंहों की जांच करे और पूरे मामले कीजांच करे।
—अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एवं एक्टिविस्ट