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भोपाल

POLI ह्यूमर: कुछ खास अंदाज में…

भोपाल। हर पार्टी से जुड़ी कुछ अनसुनी!…

भोपालSep 11, 2018 / 10:49 am

दीपेश तिवारी

POLI-Humor

political

घोषणा से परेशान कांग्रेस :
कांग्रेस में इन दिनों एक नया मुद्दा चर्चा में है। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच से ही मौजूदा विधायकों को अबकी बार 50 हजार से ज्यादा वोटों से जिताने की अपील करने लगे हैं। सिंधिया की इस अपील का अच्छा असर कितना होगा ये तो भविष्य की बात है, लेकिन बुरा असर अभी से होने लगा है।
इलाके में विरोधी सक्रिय हो गए हैं तो कार्यालय में भी नेता सिंधिया के इस कदम पर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं। नेता आपस में कानाफूसी कर रहे हैं कि इससे तो कांग्रेस भला कम बुरा ज्यादा हो रहा है। सिंधिया को एेसा नहीं करना चाहिए। कुछ नेता कहने लगे हैं कि कांग्रेस का कुछ नहीं हो सकता अंगुली भर सिलते हैं, हाथ भर उधड़ता है।
भाजपाइयों के सपने में दस लाख :
भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ में दस लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य इतना बड़ा है कि भाजपा नेताओं को सपने में भी 10 लाख लोग ही दिखाई दे रहे हैं। जिनती भी बैठकें आयोजित हो रही हैं उनमें भीड़ जुटाने की ही बातें होती हैं।
10 लाखा लोगों को लाने पर विचार विमर्श होता है। प्रदेश पदाधिकारी, सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष से लेकर पार्षद तक के टारगेट फिक्स कर दिए हैं। इशारों में ये भी समझा दिया गया है कि दावेदारों को टिकट देने पर विचार करने में इस पर भी गौर किया जाएगा कि उसने दस लाख में से कितने लोगों का योगदान दिया। अब तो जहां भी चार नेता खड़े मिलते हैं, दस लाख जुटाने के उपाय तलाशते ही नजर आ रहे हैं।
आॅफ द रिकार्ड:-

राजनीतिक जलन
कांग्रेस नेताओं में चर्चा है कि उनकी सरकार के जमाने में तो पार्टी का कार्यक्रम तालकटोरा स्टेडियम में ही निपट जाता था। प्रोग्राम बड़ा होता तो फरीदाबाद के सूरजकुंड या फिर दूरदराज के बुराड़ी इलाके में जाना पड़ता था, लेकिन मोदी सरकार ने चार साल में ही पांच सितारा होटल से बेहतर अंतरराष्ट्रीय अंबेडकर केंद्र बनाकर उसमें कार्यकारिणी कर ली।
इसी तरह आरएसएस भी बिना किसी रोक-टोक के विज्ञान भवन में बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है। एक नेता ने तो कहा कि जब 2014 में विपक्ष ने विज्ञान भवन में पंडित नेहरू के जन्मदिन पर सम्मेलन करने की इजाजत मांगी तो सरकार ने 14 नवंबर के बजाय बाद की तारीख की इजाजत दी थी, जिसे लेकर बहुत गुस्सा देखा गया था।
अधिकारियों का कृषि दर्शन
सरकार ने तय किया है कि खेती से संबंधित सभी प्रमुख योजनाओं पर सरकारी ‘किसान’ चैनल पर अलग से कार्यक्रम चलाए जाएंगे। बड़ा बजट भी जारी किया गया है। साथ ही कृषि मंत्रालय के बड़े अधिकारियों को इन कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग का जिम्मा दिया गया है। इन्हें साप्ताहिक फीडबैक रिपोर्ट भी देनी है। इससे अधिकारी काफी परेशान हैं। एक ने तो बताया कि छुट्टी के दिन घर पर किसान चैनल ही देख रहे हैं।
धोबीपाट का दर्द
धोबीपाट का दर्द राजनीतिक पहलवान ही महसूस कर पाते हैं। दक्षिण के एक राज्य के मुख्यमंत्री ने इसका जिस खूबसूरती से इस्तेमाल किया, उससे तीन रंगों के झंडे वाली पार्टी के राजनीतिक पहलवान चोट को सहला भी नहीं पा रहे हैं।
यहां दिल्ली से तेलंगाना की पार्टी इकाई को हांकने वाले मंझोले कद के नेताजी दर्द को सहन नहीं कर पाए और खबरनवीसों के बीच यह कहते हुए जा पहुंचे कि उनकी पार्टी मुकाबले के लिए तैयार है। आदत के मुताबिक खबरनवीसों ने पूछा कि क्या सूची तैयार है तो वे बगलें झांकने लगे और अंतरध्यान हो गए।
भूल-चूक लेनी-देनी
रफाल मामले पर तो कांग्रेस अध्यक्ष एक निजी कंपनी का नाम पहले से ले रहे हैं। पिछले दिनों नोटबंदी पर सरकार के खिलाफ बोलते हुए एक शीर्ष ई-कॉमर्स कंपनी का नाम भी ले लिया। पार्टी के बयानवीर नेताओं को तो जैसे मौका मिल गया था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही पार्टी नेतृत्व ने एक बड़े नेता को जिम्मेवारी दी कि वे सभी को सावधान कर दें कि उस कंपनी का नाम आगे नहीं दोहराना है।

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