scriptमेडिकोलीगल में जरूरत है डॉक्टरों की, मंजूरी मिली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की | hamidia-hospital-news-bhopal | Patrika News
भोपाल

मेडिकोलीगल में जरूरत है डॉक्टरों की, मंजूरी मिली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की

कम नहीं हो रही परेशानी: हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी में रोजाना होते है औसतन 15 से 16 पोस्टमार्टम, लेकिन डॉक्टर सिर्फ तीन, दो साल से टॉक्सिकोलॉजी लैब भी बंद

भोपालSep 17, 2019 / 01:41 am

manish kushwah

मेडिकोलीगल में जरूरत है डॉक्टरों की, मंजूरी मिली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की

मेडिकोलीगल में जरूरत है डॉक्टरों की, मंजूरी मिली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की


भोपाल. हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी में पोस्टमार्टम के लिए पुख्ता व्यवस्थाएं नहीं हैं। मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट बरसों से डॉक्टरों समेत अन्य कर्मचारियों को नियुक्त करने की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि इस मांग पर कैबिनेट में चर्चा हुई, लेकिन डॉक्टरों की जगह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति को मंजूरी दी गई। इंस्टीट्यूट में मेडिकल ऑफिसर के आधे पद रिक्त हैं, जबकि यहां रोजाना 15 से 16 पोस्टमार्टम किए जाते हैं। एक्सपर्ट के न होने से जहर की जांच करने वाली टॉक्सिकोलॉजी लैब बंद है।
ये हैं मौजूदा हालात
मेडिकोलीगल में पदस्थ तीन डॉक्टरों को रोजाना 15 से 16 पोस्टमार्टम करना पड़ते हैं। पीएम रिपोर्ट तैयार करना एवं पेशी पर कोर्ट जाना भी इनके जिम्मे है। जानकारों के मुताबिक यहां 14 डॉक्टरों की आवश्यकता है। संस्थान में मेडिकल ऑफिसर के सात पद हैं, पर इनमें से चार रिक्त हैं। अगले साल मार्च में जूनियर फॉरेंसिक ऑफिसर भी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यहां डायेक्टर, कार्यालय अधीक्षक, फोटोग्राफर और सहायक अधिकारी का पद भी रिक्त है।
मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट पर एक नजर
04 मेडिकल ऑफिसर
की जरूरत
01 टॉक्सिकॉलॉजी
एक्सपर्ट की कमी
02 फ्र ीजर मर्चुरी में 08 शवों को रखने की है व्यवस्था
15 से 16 शव आते हैं हर रोज पोस्ट मार्टम के लिए
2000 मरीज आते हैं अस्पताल में
05 से 07 मरीजों की औसतन रोज होती है मौत
जहर की नहीं होती जांच
वर्ष 2009 में यहां टॉक्सिकोलॉजी लैब बनार्ग गई थी। इसका उद्देश्य मौत के कारणों में जहर की पहचान करना था। इसके लिए करीब दस लाख रुपए की मशीनें खरीदी गई थीं। लैब में एकमात्र विशेषज्ञ डॉ. विमल शर्मा थे, लेकिन वे दो साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके बाद किसी और की नियुक्ति नहीं की गई। नतीजतन यहां जहर संबंधी जांच पूरी तरह बंद है। विभाग लंबे समय से डॉ. शर्मा को संविदा पर रखने की मांग कर रहा है।
दो मेडिकल ऑफिसर्स के जिम्मे सभी जांचें
यहां टॉक्सिकोलॉजी, एंथ्रोपोलाजी, एंटोमोलॉजी, हिस्टोपैथोलॉजी, डीएनए तथा डॉयटम टेस्ट से संबंधित लैब हैं। इसके अतिरिक्त अपराध की पूर्ण रचना एवं अनुसंधात्मक विश्लेषण भी किया जाता है। संस्था में मेडिकोलीगल प्रकरणों में विशिष्ट मत देना, शव परीक्षण करना, अप्राकृतिक तथा संदिग्ध मौत के कारणों का पता लगाना जैसे काम होते हैं। इसके अलावा कोर्ट में गवाही के काम भी करना होते हैं। यह सभी काम दो मेडिकल ऑफिसर्स के भरोसे हैं।
खाली पद भरने लिखा है पत्र
&इंस्टीट्यूट में कई पद खाली हैं। इस संबंध में विभाग को पत्र लिखकर पद भरने के लिए कहा है। अगर किसी दिन ज्यादा केस आते हैं तो हमें दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कैबिनेट में चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरने के निर्णय हुए हैं, जबकि यहां सबसे अधिक जरूरत डॉक्टरों की है।
डॉ. अशोक शर्मा,
प्रभारी संचालक, मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट

Home / Bhopal / मेडिकोलीगल में जरूरत है डॉक्टरों की, मंजूरी मिली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो