दरअसल, राज्य सरकार ने मंत्रियों का स्वेच्छानुदान के साथ विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की राशि भी बढ़ाए जाने की तैयारी की थी। अध्यक्ष के स्वेच्छानुदान राशि पर सहमति न बनने से मामला अटका हुआ है, चूंकि मामला विधानसभा अध्यक्ष का है, इसलिए विभाग मुख्यमंत्री की हरीझंडी के बिना कोई राय देने से बच रहा है।
सरकार दो करोड़ के लिए तैयार –
राज्य सरकार ने हाल ही में मंत्रियों का स्वेच्छानुदान 50 हजार रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया था। विधानसभा अध्यक्ष के लिए यह राशि दो करोड़ किए जाने के लिए सरकार तैयार है। इसके पीछे तर्क यह है कि इसके पहले भी स्पीकर की स्वेच्छानुदान राशि मंत्रियों से ज्यादा थी, इसलिए उसी परम्परा को लागू रखा जा रहा है।
वित्त विभाग भी इस पर सहमत है लेकिन विधानसभा सचिवालय का प्रस्ताव इससे भी अधिक राशि का है। विधानसभा अध्यक्ष की राशि के मामले में सहमति नहीं बनने के कारण विधानसभा उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का प्रस्ताव भी अटक गया है। क्योंकि तीनों के मामले में एक साथ निर्णय होना है।
मंत्रियों का स्वेच्छानुदान बढ़ा चुका है। अब विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के मामले में निर्णय होना है। स्वेच्छानुदान प्रस्ताव पर विचार हो रहा है। – डॉ. गोविंदसिंह, संसदीय कार्य मंत्री