इससे पहले 2015 में पहले जुमे का पहला रोजा हुआ था। 18 जून 2015 को रमजान माह का चांद नजर आया था। अगले दिन जुमा था।
नाम नहीं, बुराइयों से रोकता है
हाफिज जुनैद ने बताया कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा आंख, हाथ, पैर, दिल, मुंह सभी का होता है। ताकि रोजा रखने वाला इंसान हमेशा बुराई से तौबा करता रहे और बुराइयों से बचता रहे। जो इन बुराइयों से खुद को नहीं रोक पाए तो उसका रोजा कोई काम नहीं। पूरे साल खुद को गुनाहों और बुरे कामों से बचाए रखने की यह आजमाइश है।
3 से 27 दिन में मुकम्मल होगा कुरान
शहर की 200 मस्जिदों में तरावीह हो रही है। जामा मस्जिद, ताजुल मस्जिद, मोती मस्जिद सहित अन्य प्रमुख मस्जिदों में 21 से 27 दिन में कुरान पूरा होगा। कई जगह यह 10 दिन तो कहीं 15 दिन में पूरा किया जा रहा है। कुछ जगह यह तीन दिन में पूरा किया जा रहा है। तरावीह में इमाम कुरान का पाठ करते हैं।