अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण में भोपाल, इंदौर से 250 से 400 किमी के दायरे में रूट तैयार किए जाएंगे। इन्हें अन्य शहरों से भी शुरू किया जाएगा। यही नहीं एक ड्रोन से 2.5 किलो से लेकर पांच किलो तक वजनी दवाएं, ब्लड और वैक्सीन पहुंचाया जा सकेगा।
अधिकारियों का कहना है कि ब्लड और दवाओं की सप्लाई सफल होने के बाद इस प्रोजेक्ट को ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो जहां समय बचेगा, वहीं सड़कों पर ग्रीन कॉरीडोर बनाने की परेशानी भी खत्म हो जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के मुताबिक इसके लिए सबसे जरूरी काम है हवाई रूट ंतैयार करना। इसके लिए डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) रूट तैयार करेगा। रूट इस तरह बनाए जाएंगे, जहां हवाई जहाजों का आना-जाना न हो। इनके लिए बड़े अस्पतालों की छत पर हैलीपेड बनाया जाएगा।