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हौंसला : झोपड़ी से निकलकर इंडियन हॉकी टीम को बनाया अपना ठिकाना

झोपड़ी से निकलकर इंडिया हॉकी टीम को बनाया अपना ठिकाना…

भोपालJul 03, 2018 / 10:55 am

दीपेश तिवारी

hockey player

हौंसले की कहानी : झोपड़ी से निकलकर इंडिया हॉकी टीम को बनाया अपना ठिकाना

मुकेश@विश्वकर्मा भोपाल
हौसले बुलंद और कुछ करने का जोश, जज्बा, जुनून हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। कुछ ऐसा ही किया है शहर की हॉकी प्लेयर खुशबू ने। जहांगीराबाद स्थित राज्य पशु चिकित्सालय के पास झुग्गी में रहने वाली खुशबू खान ने गोलकीपर के तौर पर हॉकी इंडिया की अंडर-23 टीम में जगह पाई है।
इसके साथ ही वे इंडिया टीम में जगह बनाने वाली शहर की पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं। चुनौतियों से लड़कर और अपनी लगन से भारतीय टीम में चयनित होने पर खुशबू के परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है।
बेटी ने किया सपना पूरा
पिता शब्बीर खान ने बताया कि खुशबू ने मुश्किल सफर के बाद मुकाम हासिल किया है। उसने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर परिवार का सपना पूरा कर दिया है। बता दें खुशबू के पिता पेशे से आटो चालक हैं और पार्टटाइम में प्लंबर का काम करते हैं।
अब चुनौतियां बड़ी
खुशबू ने बताया कि मुझे खुशी है कि जूनियर इंडिया टीम में चुना गया है। टूर्नामेंट में अपना बेस्ट देना है। जिससे सीनियर टीम में जगह बना सकूं। इंडिया के लिए खेलना गर्व की बात है। खुशबू का परिवार 18 साल से झुग्गी में रहता है, जिसमें माता-पिता के अलावा तीन बहनें, दो भाई सहित सात सदस्य हैं।
प्रतिभा की धनी है
शहर के हॉकी ओलंपियन सैयद जलालुद्दीन रिजवी ने कहा कि खुशबू प्रतिभा की धनी खिलाड़ी है। इसने स्टेट लेवल के कई टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसका उसे फायदा मिला। वह भारतीय टीम में चुनने वाली भोपाल की पहली खिलाड़ी बनी हैं। उसकी सफलता पर गर्व हैं।
सिक्स नेशनल टूर्नामेंट में खेलेगी
18 सदस्यीय टीम का चयन हॉकी इंडिया द्वारा सोमवार को किया गया। यह टीम बेल्जियम में 18 से 21 जुलाई तक होने वाले सिक्स नेशन के टूर्नामेंट में खेलेगी। इसमें आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा और नीदरलैंड की टीमें शामिल हैं।
गोल बचाने की लड़ाई से घर बचाने की लड़ाई तक का सफर
16 वर्षीय खुशबू का सफर चुनौतियों से भरा रहा। नेशनल टूर्नामेंट में टीम के लिए गोल बचाने वाली इस खिलाड़ी ने अपनी झुग्गी को बचाने के लिए भी लड़ाई लड़ी। कुछ माह पूर्व इसके घर को चिकित्सालय प्रबंधन तोडऩे पर उतारू हो गया था। नेताओं के तीखे ताने सुनने पड़े।
अन्य खिलाडिय़ों की तुलना में संसाधन की कमी है। यह खिलाड़ी अपने घर से मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम तक 12 किमी पैदल चलकर अभ्यास करने जाती है।

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