पूरे देश में भले ही गांजे की खेती पर बैन लगा हुआ हो लेकिन मध्यप्रदेश सरकार अब इसमें भी बदलाव करने जा रही है। जी हां, कमलनाथ सरकार अब अफीम की तरह ही गांजे की खेती करने का लायसेंस देने जा रही है। दरअसल, यह बदलाव इंडसकेन कंपनी ने गांजे से कैंसर सहित अन्य असाध्य बीमारियों की दवा बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव दिया है। जिस पर फौरन अमल करते हुए वाणिज्यिक कर विभाग मध्यप्रदेश एनडीपीएस नियम 1985 में बदलाव करने जा रहा है।
कंपनी पहले भोपाल-इंदौर के पास 25 एकड़ जमीन पर करेगी गांजे की खेती के लिए इच्छुक थी लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे जबलपुर के पास निवेश की सलाह दी। कंपनी का कहना है कि गांजे से बनने वाली दवा विदेशों में भेजी जाएगी, इसलिए बेहतर एयर कनेक्टिविटी वाले शहर के पास ही प्लांट लगाना चाहेगी।
गांजे की खेती से जुड़े नियम
अभी गांजा उगाना या बेचना अपराध है
देश में गांजे की पैदावार, व्यापार, परिवहन और उपभोग पर बैन
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट 1985 के तहत गैर कानूनी है
हालांकि केन्द्र ने इस मामले में राज्यों को छूट भी दी है
राज्य एनडीपीएस एक्ट में बदलाव कर गांजे की खेती को लायसेंस दे सकते हैं
गांजे का उपयोग सिर्फ दवा बनाने के लिए होगा
शर्त है कि गांजे को प्रोसेस कर 5 साल तक विदेशों में बेचना होगा
इसके बाद देश में ही गांजा दवा बनाने के लिए बेच सकेंगे
अभी गांजा उगाना या बेचना अपराध है
देश में गांजे की पैदावार, व्यापार, परिवहन और उपभोग पर बैन
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट 1985 के तहत गैर कानूनी है
हालांकि केन्द्र ने इस मामले में राज्यों को छूट भी दी है
राज्य एनडीपीएस एक्ट में बदलाव कर गांजे की खेती को लायसेंस दे सकते हैं
गांजे का उपयोग सिर्फ दवा बनाने के लिए होगा
शर्त है कि गांजे को प्रोसेस कर 5 साल तक विदेशों में बेचना होगा
इसके बाद देश में ही गांजा दवा बनाने के लिए बेच सकेंगे
हालांकि बीजेपी ने सरकार के इस कदम की अभी से आलोचना शुरू कर दी है। तो अब कह सकते हैं कि सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही एमपी में एक और बदलाव हो जाएगा। गांजे की खेती के पक्ष और विपक्ष के तर्क बेहद मजबूत है। फिलहाल लाठी सरकार के पास है वो जो चाहे कर सकती है। क्योंकि नियमों में भी उसे छूट मिली हुई है। बस चिंता इस बात की है अगर इस गांजे की खेती के दुष्परिणाम सामने आए तो उन्हें ठीक करने में कहीं बहुत देर न हो जाए।