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भोपाल

वर्षों से भोपाल में काम नहीं कर रहा जिला पुरातत्वीय संघ

कमेटी के अभाव में बालमपुर घाटी, बगरोदा, आरजीपीवी पहाडिय़ों समेत कई स्थानों से नष्ट हो गईं महत्वपूर्ण धरोहरें…

भोपालMar 08, 2019 / 09:46 am

दिनेश भदौरिया

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वर्षों से भोपाल में काम नहीं कर रहा जिला पुरातत्वीय संघ

भोपाल. जिला पुरातत्वीय संघ के नहीं होने से राजधानी और आसपास की पुरातत्वीय धरोहरें नष्ट होती जा रही हैं। इन धरोहरों में लाखों वर्ष पुरानी पाषाणकालीन नर्मदा-बेतवा संस्कृति के निशान शामिल हैं। पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का कहना है कि भोपाल के जिला पुरातत्व संघ का विगत 25 वर्षों से अता-पता नहीं है। अस्सी के दशक में यहां भी जिला पुरातत्वीय संघ गठित किया गया था और कुछ वर्षों काम भी किया, लेकिन 1994-95 के बाद इसका पता नहीं चला।
संघ होता तो बच जातीं कीमती धरोहरें
पुरातत्वविदों और इतिहासकारों की मानें तो फतेहगढ़ किला, रॉयल मार्केट बुर्ज, पुराने दरवाजे, ईंटखेड़ी में गोंड राजा का किला, इस्लाम नगर, कोलार रोड, भोजनगर, कठौतिया, झिरी, जावरा, बगरोदा, बालमपुर घाटी, आरजीपीवी पहाड़ी आदि में पाषाणकालीन मानव सभ्यता के निशान मिलते हैं। इन क्षेत्रों में नर्मदा-बेतवा संस्कृति की महत्वपूर्ण धरोहरें हैं।
वरिष्ठ पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि पुरातत्वीय संघ के न होने से भोपाल आसपास के क्षेत्रों की पुरातात्विक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरें नष्ट होती जा रही हैं। उन्होंने बताया कि बगरोदा, बालमपुर घाटी, आरजीपीवी पहाडिय़ों आदि कई जगहों से से किए गए खनन में पाषाणकालीन साक्ष्य नष्ट हुए हैं। यहां से उन्होंने पूर्व में लाखों वर्ष पुराने पत्थर के हथियार खोजे थे, जिनमें पत्थर के चॉपर, भाले, कुल्हाड़ी आदि कुछ पाषाण शस्त्र उनके पास संग्रहीत हैं। उन्होंने बताया कि बालमपुर घाटी के पास टर्निंग प्वाइंट पर पहाड़ी के ढाल को वर्ष 2007-08 में काटा गया है, जहां पुरा सामग्री मिली थी। आदिमानव उस पहाड़ी पर बैठकर सामूहिक रूप से पत्थर के हथियार बनाते थे। बगरोदा और आरजीपीवी की पहाडिय़ों पर भी लाखों वर्ष पुराने पुरातात्विक महत्व के सामान हैं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा रहा। बगरोदा की पहाडिय़ों से भी लाखों वर्ष पुराने पाषाण शस्त्र मिले हैं। बगरोदा में भी खनन के चलते पुरानी पहाडिय़ां नष्ट हो रही हैं।
जबलपुर में संघ ने बचाईं धरोहरें
राजधानी के इतिहासकार राजकुमार गुप्ता जबलपुर में कई वर्षों तक रहे और ऐतिहासिक व पुरातत्वीय महत्व की कई धरोहरों को खोजा और सहेजा। जबलपुर पुरातत्वीय संघ में रहे राजकुमार गुप्ता ने जबलपुर हाइकोर्ट परिसर में फव्वारे को नष्ट होने से बचाया। उन्होंने इस फव्वारे पर लगे छोटे से शिलालेख से खोजकर बताया कि वर्ष 1956 में हाइकोर्ट बनने से पहले यहां कलेक्टरेट, एसपी ऑफिस, लॉ कोर्ट और ट्रेजरी स्थापित थे।
जबलपुर में तिलवारा घाट पर नौका पुल बनता था, यहां रहमत खान की गढ़ी को भी उन्होंने खोजा। मराठाा शासक रघुजी भोंसले के गढ़ीदार रहमत खां ने इस ओर से पिंडारी अमीर खां और शाहमत खां को जबलपुर में प्रवेश नहीं करने दिया था। बाद में गढ़ीदार रहमत खां की प्रतिमा यहां बनाई गई थी।
इतिहासकार राजकुमार गुप्ता बताते हैं वर्ष 1984-85 में भोपाल में जिला पुरातत्वीय संघ बना था। कुछ वर्षों इसने काम भी किया। पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास बताते हैं कि आर्कियोलॉजी में सेवा के दौरान वर्ष 1994-95 में जिला पुरातत्वीय संघ भोपाल की बैठक में एक बार आमंत्रित किया गया था, उसके बाद इसका कोई अता-पता नहीं है।
11 अप्रेल 1974 को पुरातत्व विभाग, मध्यप्रदेश शासन ने सभी जिलों में पुरातत्वीय संघों के निर्माण एवं कार्य विधि संबंधी नियम बनाए थे। जिला पुरातत्वीय संघ राज्य के प्राचीन स्मारकों, पुरातत्वीय स्थलों एवं अवशेषों की सुरक्षा तथा उन्हें विनाश से रोकने में शासन का सहयोग करता है। संघ के कार्यक्षेत्र में भारतीय इतिहास, संस्कृति, कला एवं प्राचीन मुद्राओं आदि के अध्ययन में प्रोत्साहन एवं खोज में शासन का सहयोग करना एवं संग्रहालयों के विकास के लिए प्रयास करना भी शामिल है। जिला पुरातत्वीय संघ का अध्यक्ष संबंधित जिला कलेक्टर होता है। अन्य सदस्यों में राज्य एवं केन्द्रीय पुरातत्वीय विभाग के जिले में नियुक्त अधिकारी, जिला प्रकाशन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, इतिहास व पुरातत्व विषय के प्राध्यापक या व्याख्याता, स्थानीय विधायक एवं अन्य प्रतिनिधि जो पुरातत्व विषय में रुचि रखते हों, जिलाध्यक्ष द्वारा मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। जिलाध्यक्ष/कलेक्टर ही एक राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति सचिव के पद पर करता है। संघ का कार्यकाल तीन वर्ष (जनवरी से दिसंबर) होता है। इसमें जिलाध्यक्ष के पास सभी अधिकार होते हैं। शासकीय अनुदान, संस्था या किसी व्यक्ति से प्राप्त दान की राशि से संघ को संचालित किया जाना था।

इस दिशा में काम किया जा रहा है और जल्द ही जिला पुरातत्वीय संघ गठित कर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कुछ कार्यों में भी संघ की भूमिका रहेगी।
– डॉ. सुदाम पी खाड़े, कलेक्टर

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