मध्यप्रदेश में 2018 में शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन हुआ था। इसमें 17 हजार पदों का विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें 15 हजार पदों को प्रथम चरण में और बाकी पदों को दूसरे चरण में भरा जाना था, लेकिन भरा नहीं गया था। जबलपुर हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका लगाई गई थी। याचिकाकर्ता ऋतु नामदेव और अन्य ने शिक्षक भर्ती 2018 के बचे हुए पदों को नहीं भरने के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि साल 2018 में उच्च माध्यमिक शिक्षक के 17 हजार पदों का विज्ञापन निकाला गयाथा, जिसमें से 15 हजार पदों को पहले चरण में भरना था और दूसरे चरण में बाकी पदों को भरना था। याचिकाकर्ता की ओर से आईटीआई लगाकर 2018 की भर्ती के रिक्त पदों की जानकारी मांगी गई थी।
इस पर लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से आरटीआई के जवाब में बताया कि 5935 पद खाली रह गए हैं। इस पर याचिकाकर्ता के वकील धीरज तिवारी ने स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग के बचे हुए पदों की संख्या बताई और बताया कि ओबीसी वर्ग के चयनित सूची के उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन कराए जाने के बावजूद भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।
इस पर न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने उत्तरवादी शासकीय अधिवक्ता से प्रश्न किया, इस पर सरकारी वकील ने समय की मांग की। इस मामले में कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग के समक्ष नए अभ्यावेदन दाखिल करने के निर्देश दिएं।
2018 में हुई परीक्षा के बाद से चयनित उम्मीद आज तक नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे। कई बार मुख्यमंत्री का आश्वासन मिला, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंच चुका था। अभ्यर्थियों का कहना था कि भर्ती से संबंधित कई मामले उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने 2023 में परीक्षा का आयोजन करा लिया, लेकिन 2018 के रिक्त पदों के लिए पात्र अभ्यर्थी भी उपलब्ध थे।
हाल ही में शिक्षक भर्ती 2023 वर्ग 1 में पद वृद्धि की मांग को लेकर चयनित शिक्षकों ने बीजेपी आफिस के बाहर धरना दिया था। उनकी मांग थी कि वर्ग एक उच्च माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2023 के जो अभ्यर्थी वेटिंग लिस्ट में है, उन्हें नियुक्ति दी जाए। और इसके लिए पद बढ़ाए जाएं।