यह है मामला सीबीआई के अनुसार कृष्णा नगर, लखनऊ उप्र निवासी रेनूबाला वर्मा के खिलाफ एसटीएफ ने 2013 में व्यापमं घोटाले के तहत प्रकरण दर्ज किया था। बाद में सीबीआई को मामला स्थानांतरित हुआ। सीबीआई ने भी जांच के बाद उसके खिलाफ भादंवि की धारा 419,420,467,468,471, 12-बी व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर भोपाल में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष चार्जशीट पेश की। इसी मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए रेनूबाला की ओर से विशेष अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की, जो 11 नवंबर को खारिज कर दी गई। इसके बाद हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत यह अग्रिम जमानत का आवेदन पेश किया गया। कहा गया कि उसे झूठा फंसाया गया। सीबीआई की ओर से अर्जी का विरोध किया गया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आवेदिका को विशेष अदालत के समक्ष सरेंडर करने के निर्देश दिए। उसे वहां जमानत की अर्जी दायर करने की छूट दे दी गई।
परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर योग्य छात्रों का हक छीना, इन्हें सजा देना जरूरी ग्वालियर की विशेष सीबीआइ कोर्ट ने आरक्षक भर्ती घोटाले में आरोपी मधुराज सिंह को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की कि प्रतियोगी परीक्षाओं की गरिमा और उसकी पवित्रता गिरा दी है, इसलिए ऐसे अपराधियों को माफ नहीं किया जा सकता, इन लोगों ने योग्य छात्रों का हक छीना है। मधुराज सिंह ने अपने स्थान पर सॉल्वर को बैठाकर परीक्षा दिलाई, इसके लिए उसके द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे।
विशेष न्यायाधीश अजयकांत पांडे ने मधुराज सिंह पुत्र विनोद सिंह (24) निवासी डिडीखुर्द थाना देहात भिंड को धारा 120 में एक साल, धारा 467 व 468 सहपठित 120 बी में पांच-पांच साल और धारा 420 में एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। उस पर चार हजार रुपए जुर्माना भी किया है।
विशेष न्यायाधीश अजयकांत पांडे ने मधुराज सिंह पुत्र विनोद सिंह (24) निवासी डिडीखुर्द थाना देहात भिंड को धारा 120 में एक साल, धारा 467 व 468 सहपठित 120 बी में पांच-पांच साल और धारा 420 में एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। उस पर चार हजार रुपए जुर्माना भी किया है।