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जमीन की बिना पड़ताल काम शुरू, निगम का दसवां प्रोजेक्ट अटका

जमीन की बिना पड़ताल काम शुरू, निगम का दसवां प्रोजेक्ट अटका

भोपालNov 20, 2019 / 01:46 pm

देवेंद्र शर्मा

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भोपाल। नगर निगम के इंजीनियर और अफसरों की लापरवाही से एक बार फिर निगम का एक प्रोजेक्ट अटकने की स्थिति में है। शासकीय मुद्रणालय के सामने हॉकर्स कॉर्नर पर आपत्ति आई। ये दसवां प्रोजेक्ट है जो काम शुरू होने के बाद अटकने की स्थिति में है। बार-बार एक ही स्थिति के बावजूद निगम प्रशासन गंभीर नहीं है। इसबार भी निगम के इंजीनियर व अफसरों ने जमीन संबंधित पुख्ता पड़ताल नहीं की और हॉकर्स कॉर्नर पर लोक निर्माण की आपत्ति आ गई। मामले में खुद संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने निगमायुक्त विजय दत्ता को पत्र लिखा और जोन अधिकारी से मामले की जांच कराने के लिए कहा है।

ये हैं मामला
नगर निगम ने शासकीय मुद्रणालय के सामने हॉकर्स कॉर्नर का काम शुरू किया। वह पहले नाली बना रहा था, उसके बाद बेस तैयार करता और फिर शेड लगाता। काम चल ही रहा था कि पीडब्लयूडी के एसडीएम लोक निर्माण विभाग आरटीसी उपसंभाग ने इसके लिए उच्चाधिकारियों केे साथ जिला व पुलिस प्रशासन को पत्र लिखा। बताया गया कि नगर निगम द्वारा लोक निर्माण विभाग की नाली व भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से हॉकर्स कॉर्नर विकसित किया जा रहा है। ये जमीन लोक निर्माण विभाग के कब्जे की है। हॉकर्स कॉर्नर के निर्माण से रोड का डे्रनेज खत्म हो जाएगा। रोड पर पानी जमा होगा और वह टूट जाएगी। नियंत्रक शासकीय मुद्रणालय ने भी इसपर आपत्ति ली है। इस हॉकर्स कॉर्नर को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

जमीन की पड़ताल नहीं, ऐसे अटके प्रोजेक्ट
– स्मार्टरोड में करीब 150 मीटर क्षेत्र में बाधक मकान मालिकों से चर्चा नहीं की, अब पूरी रोड अटकी हुई है।
– एरिया बेस्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट टीटी नगर में यहां के दुकानदारों से चर्चा नहीं की, अब निर्माण अटक रहा है।
– लिंक रोड पर निगम ने अपनी वर्कशॉप के पास बहुमंजिला भवन तय करके बजट भी रखा, लेकिन पीएचई की आपत्ति आई, मामला कोर्ट में पहुंचा प्रोजेक्ट अटक गया।
– छोटे तालाब पर आर्चब्रिज प्रोजेक्ट में किलोलपार्क की और एप्रोच में बाधक मकानों को लेकर शुरुआत में चिंता नहीं की, अब डेढ़ साल से ब्रिज इसी वजह से शुरू नहीं हो पा रहा।
– बैरागढ़ में आदर्श मार्ग में बाधक दुकानदार-मकान मालिकों से चर्चा नहीं की। अब भी काम पूरा नहीं हो पाया।
– एमपी नगर में बिना सोचे समझे कार्रवाई करके अवैध गुमठियां-ठेले हटाए। राजनीतिक दबाव आया तो फिर रेलवे की जमीन इन्हें आवंटित कर दी। काफी विवाद हुआ, वहां से आवंटन हटाना पड़ा।
– गेहूंखेड़ा में एक निजी जमीन पर ओवरहेड टैंक प्रस्तावित किया। विवाद हुआ तो डेढ़ साल तक यहां टंकी नहीं बनी। दूसरी जगह देखकर अब इसका निर्माण किया गया।
– आदमपुर में ग्रामीणों की सहमति के बिना स्लॉटर हाउस शिफ्टिंग तय किया, जोरदार विरोध हुआ प्रस्ताव रद्द करना पड़ा। अब तक जगह तय नहीं कर पाए।
– अमृत प्रोजेक्ट में कलियासोत डेम के पास जमीन पर डेढ़ करोड़ रुपए का पार्क तय किया। ठेकेदार ने काम भी शुरू कर दिया। विवाद हुआ पता चला ये निजी जमीन है। काम रद्द करना पड़ा।
नोट- निगम के इंजीनियर और अफसरों की बेपरवाही से इस तरह से काम अटक रहे हैं।

21 लाख से तीन हॉकर्स कॉर्नर तय किए, 24 लाख खर्च में दो भी पूरे नहीं
शासकीय मुद्रणालय के सामने विवाद का केंद्र बने हॉकर्स कॉर्नर का इस्टीमेट 2017 में तय किया था। इसके लिए 21 लाख रुपए निकाले थे। जोन नंबर एक से जोन नंबर नौ में तीन हॉकर्स कॉर्नर इस राशि से विकसित करना थे। बीते दिनों वार्ड 14 में एक दस लाख रुपए खर्च से स्मार्ट हॉकर्स कॉर्नर विकसित हुआ। दूसरा नेता प्रतिपक्ष मोहम्मद सगीर की अनुशंसा पर एमपी नगर में तय हुआ। इसकी लागत 14 लाख बताई जा रही। ऐसे में स्थिति ये हैं कि 21 लाख रुपए तय थे, लेकिन 24 लाख रुपए खर्च कर दिए गए।


हमने हर जोन में एक हॉकर्स कॉर्नर प्रस्तावित किया था। लेकिन अफसर जमीन ही तलाश नहीं कर पाए। अधिकांश नहीं बने। इस मामले को परिषद में भी उठाया था। हमने सही जगह और जनता की सुविधा को देखते हुए हॉकर्स कॉर्नर विकसित करने का कहा है। जहां विवाद न हो, ऐसी जगह चुनी जाए।
– आलोक शर्मा, महापौर

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