मीडिया से बाद करते हुए गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि सारे पहलुओं को कवर करते हुए इस मामले की जांच की जाएगी। वहीं, इसमें शामिल कोई भी बच नहीं पाएगा। डीजी लेवल के अधिकारी को इसमें शामिल कर सरकार ने अपना मकसद साफ कर दिया है। इस पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करूंगा। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा और न ही इस मामले में कोई पॉलिटिक्ल प्रेशर है।
गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि ये कमलनाथ की सरकार है। यहां किसी का प्रभाव नहीं चलता है। अगर प्रभाव चलता तो फिर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर ही नहीं होती। पलसिया थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर ही इस मामले की जांच की जा रही है। हर बिंदुओं पर जांच की जा रही है। सरकार निष्पक्ष जांच के लिए ही अब डीजी स्तर के अधिकारी को लगाया है।
दरअसल, मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा हनी ट्रैप मामले के लिए गठित एसआईटी शुरू से ही विवादों में था। इसके पहले चीफ सीआईडी आईजी श्रिनिवास वर्मा थे। उन्हें हटा संजीव शमी को बनाया गया। उसके बाद ही सवाल उठने लगे थे। डीजीपी पर साइबर क्राइम की डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने सवाल उठाया था। बाद में विवाद बढ़ा तो सीएम कमलनाथ ने मामले में हस्तक्षेप कर नाराजगी जाहिर की। उसके बाद मंगलवार को संजीव शमी को हटा राजेंद्र कुमार को एसआईटी का चीफ बना दिया गया।