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भोपाल

दर्द की वो कहानी जिसे सुनकर सहम जाएंगे आप, उस दर्द को मिटा नहीं सकते पर वापस आएंगे

कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने का आदेश दिया गया था।

भोपालJan 18, 2020 / 12:04 pm

Pawan Tiwari

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भोपाल. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म किए हुए करीब पांच महीने से ज्यादा का समय बीत गया है। केंद्र सरकार के 36 मंत्री 18 से 25 जनवरी के बीच जम्मू और कश्मीर का दौरा करने वाले हैं। वहीं, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कश्मीरी पंडितों के घर छोड़े जाने को लेकर ट्वीट किया है। शिवराज सिंह चौहान ने लिखा- तीस साल पहले आज के ही दिन हमारे लाखों कश्मीरी भाई-बहन अपने घरों को छोड़कर बेघर होने के लिए मजबूर हुए थे। यही वो काला दिन है, जिस दिन ये निरपराध और सीधे-सादे लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने और उनके आंखों से बहते खून के आंसू को पोंछने वाला कोई नहीं था।
https://twitter.com/hashtag/HumWapasAayenge?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
हमारे कश्मीरी पंडित भाई-बहनों के साथ जो बर्बरता हुई, उसके लिए हम शर्मिंदा हैं। अपने देश में, अपने घर में रहते हुए, जिस यातना से आप गुजरे हैं, हम उस दर्द को महसूस नहीं कर सकते हैं। भारत के इतिहास में उन दिनों को काले अक्षरों में लिखा जायेगा। हमारे कश्मीरी पंडित भाई-बहनों के साथ आज से तीस साल पहले जो अन्याय हुआ, सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अपने ही देश में शरणार्थी बन जाने के उस दर्द को हम मिटा नहीं सकते हैं, लेकिन हम वापस आएंगे। यह हमारी सरकार का संकल्प है और इसे पूरा करेंगे।
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कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहते हैं और हम सब अपने प्रेम और सौहार्द से इस जन्नत की खूबसूरती को और बढ़ायेंगे। कश्मीरी पंडितों को उनका घर और हक दिलायेंगे। प्यार बढ़ेगा, घृणा मिटेगी। आइये, हम सब दिलों में प्यार लेकर कदम बढ़ाएं। कश्मीर में नये फूल खिलायें। हम वापस आएंगे।
घाटी छोड़ने का था आदेश
18 जनवरी, 1990 में कश्मीरी पंड़ितों को घाटी छोड़ने का फरमान जारी किया गया था। इसके बाद लाखों कश्मीरी पंड़ितों ने रातों-रात अपनी जान बचाकर घाटी को छोड़ दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए। हालात बदतर हो गए थे। ऐसा कहा जाता है कि उस समय कश्मीरी पंडितों के घर के दरवाजों पर पोस्टर लगाए गए थे। उन पोस्टरों में लिखा था ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ दो।’

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