उधर, इंदौर, रायसेन, भोपाल और अशोकनगर जिले की मतदाता सूची में जोड़े गए बोगस नामों के ‘पत्रिका’ के खुलासे पर कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी गई है। चुनाव आयोग ने यह कदम मतदाता सूची में लगातार गड़बडिय़ां सामने आने के बाद उठाया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) सलीना सिंह ने प्रदेश के जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर को पत्र भेजकर सूची की सामने आ रही कमियों को गंभीरता से लेने को कहा है।
उन्होंने निर्देश दिए कि पुनरीक्षण अभियान को केवल बीएलओ और एआरओ के भरोसे नहीं छोड़ें। खुद भी निगरानी कर अवगत कराएं। मतदाता सूची से जुड़ी जिम्मेदारी लेने संबंधी घोषणा-पत्र इसी महीने भरकर भेजने के निर्देश भी उन्होंने दिए। सीईओ ने साफ कहा है कि गड़बड़ी सामने आने के बाद छोटे कर्मचारियों पर थोपने से काम नहीं चलेगा।
तबादलों की कॉपी मांगी
चुनाव आयोग ने प्रदेश में तबादलों को लेकर निर्देश जारी किए हैं। 31 जनवरी 2019 को एक ही स्थान पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अफसर 30 जून तक हटाए जाएंगे। आयोग ने यह भी कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान अफसर जिस जिले में पदस्थ थे, उन्हें कार्यकाल पूरा करने की बाध्यता को देखे बिना स्थानांतरित करें। निर्देशों के पालन में जो भी आदेश सरकार जारी करेगी, उसकी कॉपी हर हाल में आयोग को भेजी जाए।
संविदा अफसरों की नहीं लगेगी ड्यूटी
सरकार से सेवावृद्धि या संविदा में पुनर्नियुक्ति पाने वाले अफसर चुनाव कार्य में नहीं लगाए जाएंगे। चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में भी तैनात ऐसे अफसरों से चुनाव से जुड़ी सेवाएं लेने पर रोक लगा दी है। छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी आयोग की स्वीकृति के बिना नहीं लगेगी।
मतदाता सूची में गड़बड़ी मिलने के बाद कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी है। अब त्रुटियों के लिए कलेक्टर सीधे जिम्मेदार होंगे। इस बारे में घोषणा-पत्र भी भरवाया जाएगा।
-सलीना सिंह, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी