उल्लेखनीय है कि यूनियन कार्बाइड की जहरीली जमीन पर कल्याण नगर, जनता नगर, सुपर एस्टेट, नीलकंठ कॉलोनी, नवाब कॉलोनी, सूर्या नगर, आराधना नगर समेत कई अवैध कॉलोनियां नई बसा दी गई हैं। दशकों से लावारिस पड़ा रासायनिक कचरा वहां से हटाया नहीं गया, इसके बावजूद इस क्षेत्र में कई नई कॉलोनीज बसा दी गईं।
इन कॉलोनीज के हजारों लोगों को यह नहीं पता है कि वे यूनियन कार्बाइड की जहरीली जमीन पर बसा दिए गए हैं, जहां की आबो-हवा और पानी में खतरनाक रसायनों का जहर घुला हुआ है। यहां वर्षों से जमीन पर कॉलोनी बसाने की गतिविधियां चलती रहीं और नगर निगम समेत जिम्मेदार विभागों के संबंधित अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
इन कॉलोनीज को बसाने में जमीन और कंस्ट्रक्शन करने वालों ने तो पैसा बना लिया, लेकिन यहां जमीन या मकान खरीदने वालों के लिए मुसीबत हो गई। रहवासियों के परिवार तमाम बीमारियों और मुसीबतों से जूझने वाले हैं। यहां का भूजल तो प्रदूषित हो ही चुका है।
अवैध कॉलोनियों में लोग ग्राउंड वाटर पी रहे हैं। हालांकि नगर निगम के अधिकारी नर्मदा जल देने की बात कर रहे हैं, लेकिन अभी सभी अवैध कॉलोनियों में नर्मदा जल की पाइपलाइन भी नहीं पहुंची है।
परेशान हैं रहवासी
यहां की कुछ कॉलोनियों के रहवासी परेशानी भी भुगत रहे हैं। रहवासियों ने पत्रिका टीम के सामने अपने दर्द बयां किए। उन्होंने बताया कि गंदे पानी के तालाब से आ रही बदबू में दम घुट रहा है। गले में दर्द, सांस की तकलीफ लोगों को रहने लगी है। डॉक्टर ने गले में कैंसर की आशंका से इनकार नहीं कर रहे। आंखों और स्किन की बीमारियां ठीक नहीं होती हैं।
यूनियन कार्बाइड त्रासदी रूस की चेरिनोबिल के बाद भारत की यूनियन कार्बाइड विश्व की सबसे बड़ी मानव त्रासदी है। यहां एनजीटी की बेंच स्थापित है। प्रदेश के आला अफसर बैठते हैं, फिर भी अनदेखी हो रही है। वाटर एक्ट १९७४, एयर एक्ट १९८१ और म्यूनिसिपल एक्ट २०१६ के नियमों का सीधा उल्लंघन किया जा रहा है, जिसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, प्रशासन, राजस्व विभाग सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
यहां की जमीन, आबो-हवा जहरीली
यूनियन कार्बाइड की जहरीली जमीन पर कल्याण नगर, जनता नगर, सुपर एस्टेट, नीलकंठ कॉलोनी, नवाब कॉलोनी, सूर्या नगर, आराधना नगर समेत कई अवैध कॉलोनियां नई बसा दी गई हैं। इसके सिवा इस वर्ष ग्रीन पार्क, संत कंवरराम नगर, रंभा नगर, रिसालदार कॉलोनी, राजहर्ष कॉलोनी, फूटा मकबरा, एकता नगर, दुलीचंद का बाग, सुंदर नगर, शाहीन कॉलोनी, निशातपुरा, प्रताप नगर, लक्ष्मी नगर, चंदन नगर, छोला मंदिर, द्वारका नगर, कृष्णा नगर के भूजल में खतरनाक बैक्टीरिया व धातुएं पाई गईं।
– ओपी चौरसिया, एई, जोन-१७ भवन अनुज्ञा, ननि हां, यह सच है कि इस क्षेत्र में अवैध कॉलोनी बसा दी गई हैं। सरकारी जमीन पर बसाहट को विस्थापित किया जाएगा और जगह अतिक्रमणमुक्त कराई जाएगी। प्राइवेट जमीन पर जो कॉलोनीज बसा दी गई हैं, उन्हें वैध करने की प्रक्रिया चल रही है। नगर निगम पीने के लिए नर्मदा जल उपलब्ध करवा रहा है। पांच वर्ष से पुरानी कॉलोनीज को रेगुलराइज करने का प्रावधान होने के चलते पांच वर्ष से पुरानी कॉलोनीज वैध करने की प्रक्रिया चल रही है।
– जेएस तोमर, एई, अवैध कॉलोनी शाखा, ननि