राजधानी की सीमा पर लगे गांव कजलीखेड़ा, थुआखेड़ा और गोंडीपुरा में वर्षों से पत्थरों का अवैध खनन किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग सुस्त पड़े हुए हैं। वर्ष में कई बार इनके ऊपर कार्रवाई करने की आवाज उठती है, लेकिन कार्रवाई के आश्वासन के सिवा आजतक कुछ नहीं हुआ। कालापानी-कजलीखेड़ा पंचायत के तहत आने वाले इस क्षेत्र में नगर निगम ने कचरा ट्रांसफर स्टेशन भी बनाया हुआ है।
रोजाना यहां कई ट्रक व मैजिक कचरा गाडिय़ों से बड़ी मात्रा में कचरा डम्प किया और जलाया जाता है। बताया गया है कि आदमपुर छावनी कचरा खंती के कम चक्कर लगाकर या बिना चक्कर लगाए लॉगबुक में अधिक चक्कर (फेरे) दिखाने के लिए कचरा गाडिय़ों के ड्राइवर यहीं कचरा जलवा देते हैं। उनकी आड़ में कुछ स्थानीय लोग पत्थर/अलंगों का अवैध कारोबार करते हैं। इस समय भी यहां कई खदानें चल रही हैं।
दिनभर कई मजदूर पत्थर निकालते और अलंगे काटते हैं। इन अलंगों को टै्रक्टर ट्रॉली या टाटा 407 जैसे वाहनों से ढोया जाता है। इन गाडिय़ों को पीले रंग में कलर किया जाता है, जिससे आम लोगों को यह लगे कि नगर निगम की गाडिय़ां हैं। इनमें से अधिकांश वाहनों पर रजिस्ट्रेशन नम्बर भी नहीं होते। पूर्व में यहां एक पत्थर क्रॅशर भी लगा हुआ था, जो कुछ समय से बंद है। बताया गया कि इस क्रॅशर को फिर से संचालित कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
खनन की लोकेशन बताइए, मैं इंस्पेक्टर को भेजकर कार्रवाई करवाता हूं। अलंगों का खनन अवैध है, इसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
– राजेन्द्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकारी