शिकायतों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उक्त अधिकारी विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, बसपा सहित अन्य दलों के पक्ष में काम कर रहे थे, ये अधिकारी पिछले तीन साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान जिन जिलों से ज्यादा शिकायतें आई थी उनकी समीक्षा कर रहा है।
समीक्षा में यह देखा जा रहा है कि इन शिकायतों की प्रकृति क्या है। जो अधिकारी चुनाव प्रक्रिया से सीधे तौर नहीं जुड़े हैं, जैसे पंचायत अधिकारी, इंजीनियर, प्राध्यापक, नगरीय निकाय के अधिकारी-कर्मचारी अथवा अन्य अधिकारी एक ही स्थान पर लंबे समय से जमे हुए हैं, अगर ऐसे अधिकारियों की शिकायतें विधानसभा चुनाव के दौरान आईं थीं तो उन्हें भी हटाया जाएगा। यह कार्रवाई लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी, जिससे इस तरह की शिकायतें में कमी आ सके।
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शुरू हुइ कानून-व्यवस्था की समीक्षा
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय हर हफ्ते प्रदेश के कानून व्यवस्थाओं की समीक्षा करना शुरू कर दिया है। समीक्षा में यह भी देखा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव, पूर्व लोकसभा चुनाव में कानून-व्यवस्था को लेकर कितनी शिकायतें और घटनाएं हुए हैं और उसके निराकरण की क्या स्थिति रही है।
वर्तमान में कितने वारंट तामील हुए हैं कितने वारंटी अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। राजनीतिक एफआईआर, संपत्ति विरूपण और आचार संहित उल्लंघन, पेड न्यूज के मामले में कितने लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी और अभी कितने मामले अदालत में लंबित हैं।