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भोपाल

अपने ही गढ़ में फंसी भाजपा-कांग्रेस, जानिए क्या है एमपी का चुनावी हाल..

अपने गढ़ों में भी कम नहीं पार्टियों के उम्मीदवार, उत्तर में भाजपा, नरेला में कांग्रेस की मुश्किलें कम नहीं
 

भोपालSep 07, 2018 / 07:17 am

Radhyshyam dangi

vidhansabha

VIDHAN SABHA 2

@राधेश्याम दांगी और शिवनारायण साहू की रिपोर्ट..

भोपाल. लगातार तीन बार से सरकार बनाने वाली भाजपा के लिए उत्तर विधानसभा सीट सपना बनकर रह गई है। यहां कांग्रेस के आरिफ अकील 1990 से दमदारी से जमे हुए हैं। इसकी बड़ी वजह अल्पसंख्यक वोट हैं। वहीं, परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई नरेला सीट भाजपा के लिए लगभग आसान है। पिछले चुनाव में कांग्रेस नेता और पूर्व महापौर सुनील सूद ने शुरुआत तो अच्छी की थी, लेकिन बाद ऐसे पिछड़े कि बड़ी हार मिली।

– उत्तर विधानसभा : कांग्रेस का गढ़ कैसे जीते भाजपा
पांच बार के विधायक आरिफ अकील को टक्कर देने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण भाजपा ने 2013 में आरिफ बैग को उम्मीदवार बनाया था। बैग करीब छह हजार वोट से हारे थे। अकील पहली बार निर्दलीय जीते फिर कांग्रेस में आ गए। इस सीट से रामेश्वर शर्मा और आलोक शर्मा भी चुनाव लड़ चुके हैं, पर हार ही मिली। इस बार आम आदमी पार्टी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारा है।
– ये नाम चर्चा में
भाजपा—
आलोक शर्मा – महापौर। 2008 में यहां से चुनाव लड़ चुके हैं।
रमेश शर्मा – पूर्व विधायक।
शौकत मो. खान – वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष। राज्यमंत्री का दर्जा।
भक्ति शर्मा – अमरीका रिटर्न अब राजनीति में सक्रिय।
राहुल कोठारी – युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष।
गुड्डू टायर – मंत्री उमाशंकर गुप्ता के करीबी।
आगा अब्दुल कय्यूम – बीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष

* कांग्रेस —
आरिफ अकील – पांच बार से विधायक।
आरिफ मसूद – 2013 में मध्य के प्रत्याशी।
नासिर इस्लाम – पूर्व पार्षद।
मो. सगीर – नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष।
आतिफ अकील – विधायक आरिफ अकील के पुत्र।
शाहवर मंसूरी – 15 साल से पार्षद।
रवि वर्मा – क्षेत्र में सक्रिय।
मो. शफीक – पूर्व पार्षद रहे।
सैयद शाहिद अली – क्षेत्र में सक्रिय नेता।
आमीर अकील – आरिफ अकील के भाई।
(आम आदमी पार्टी ने जुबेर कुरैशी को प्रत्याशी बनाया है।)

* 2013 के वोट
– आरिफ अकील 73070
– आरिफ बैग 66406

– वोटों का गणित
यहां 2.95 लाख मतदाताओं में से 55 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं। बाकी एससी-एसटी के हैं। यहां धर्म और जातिगत समीकरण ही नेतृत्व तय करता है।
– ये हैं मुद्दे
सीवेज व्यवस्था, सफाई और पेयजल की कमी। अतिक्रमण, अवैध निर्माण और खराब सड़कें।

– विधायक का परफॉर्मेंस
मूलभूत जरूरतों पर काम कम हुआ है। अतिक्रमण नहीं हटवा पाए। कई झुग्गियां हैं, अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत नए प्रोजेक्ट नहीं आए।
– चुनौती
भाजपा : विधानसभा और नगर निगम चुनाव में पार्टी को झटका लगता रहा है। अल्पसंख्यक वोट अपने पक्ष में लाना आज भी चुनौती है।

कांग्रेस : डॉक्टर, इंजीनियर, वकील सहित उच्च मध्यमवर्गीय मुस्लिम मतदाता विधायक से खफा हंै। स्थानीय गुटबाजी बढ़ रही है।

विकास कार्य कम ही हुए हैं। शहर में सफाई-जल प्रदाय और अतिक्रमण की मुख्य समस्या है। खेल मैदान, स्कूल और आंगनबाड़ी भवनों पर काम होना चाहिए।
– डॉ. यूसुफ खलील हुसैनी, रहवासी

नरेला : अपराध ने बिगाड़ी छवि
यह सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती है। पिछले दो बार के विधायक और राज्यमंत्री विश्वास सारंग फिर दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि, यह क्षेत्र आधारभूत जरूरतों के लिए तरस रहा है। सीवेज और सड़कें बड़ी समस्या हैं। पिछले 10 सालों में भी यहां बहुत उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं हो सके। विश्वास यात्रा के जरिए कांग्रेस ने पैठ बनाने की कोशिश की है। दूसरी ओर कांग्रेस के भी कई दावेदारों ने जनसंपर्क शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने रिहान जाफरी को प्रत्याशी बनाया है।

– 2013 के वोट
विश्वास सारंग 98472
सुनील सूद 71502

– ये नाम चर्चा में
भाजपा :
विश्वास सारंग – दो बार के विधायक और मंत्री।
चेतन सिंह – पूर्व पार्षद।
उमाशंकर त्रिपाठी – पूर्व मंडल अध्यक्ष।

कांग्रेस :
सुनील सूद – 2013 के प्रत्याशी।
मनोज शुक्ला – सक्रिय नेता।
कैलाश मिश्रा- जिला कांग्रेस अध्यक्ष।
महेंद्र सिंह चौहान – पूर्व प्रदेश महामंत्री।
वाहिद चौधरी – सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष।
अनस सिद्दीकी – सक्रिय युवा नेता।
(आम आदमी पार्टी से रेहान जाफरी ताल ठोक रहे हैं।)

– वोटों का गणित
ब्राह्मण, मुस्लिम, कायस्थ, बैतूल का मराठी कुनीबी समाज, जैन ओर बोहरा समाज के वोटरों की खासी संख्या है। यहां तीन लाख मतदाता हैं।

– चुनौतियां
भाजपा : पार्षद और मंत्री के बीच विरोध, ब्राह्मण और कायस्थ वोटर असंतुष्ट।
कांग्रेस : कांग्रेस की जड़ें काफी कमजोर हैं। इस बार आम आदमी पार्टी की सक्रियता से भी चुनौती।

– विधायक का परफॉर्मेंस
जनता सीवेज और सफाई और अच्छी सड़कों की समस्या से जूझ रही है। क्षेत्र में अतिक्रमण, जुआं-सट्टा और अपराधों को लेकर लोगों में रोष है।

यह क्षेत्र आधारभूत समस्याओं के लिए जूझ रहा है। अतिक्रमण विकराल समस्या है। इसके साथ ही जुआं, सट्टा और अपराधों को रोकना भी बड़ी चुनौती है।
– संबित कुमार जैन, शासकीय कर्मचारी

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