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भोपाल

अधूरे वादे और नए समीकरण बिगाड़ सकते हैं प्रत्याशियों के चुनावी गणित

भाजपा-कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत वाले बूथों की ग्राउंड रिपोर्ट

भोपालSep 12, 2018 / 07:17 am

anil chaudhary

vidhansabha

electoin news

भोपाल. विधानसभा चुनाव 2013 में हुजूर क्षेत्र के बूथ क्रमांक 28 पर कांग्रेस और 35 पर भाजपा को एकतरफा वोट मिले थे, लेकिन वोटरों ने जिन वादों पर भरोसा करके वोटिंग की थी, वे आज भी अधूरे हैं। भाजपा विधायक जहां कम वोट मिले थे, वहां ध्यान तो दिया, लेकिन जहां उम्मीद से ज्यादा वोट मिले उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अब वोटरों के सामने एक बार फिर अपना नेता चुनने का मौका है। इस बार प्रत्याशियों के लिए काम के आधार पर, नहीं बल्कि क्षेत्र में बने नए समीकरण से वोटिंग की उम्मीद है।
नब्ज पकड़कर भाजपा ने लगाई सेंध

इ स बूथ पर अब्बास नगर के अल्पसंख्यक वोटर ज्यादा हैं। इन्हें कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता है। पहले अब्बास नगर के आसपास कोई विकसित कॉलोनियां नहीं थी, लेकिन अब भोपाल विकास प्राधिकरण का महर्षि पतंजलि परिसर और द ब्लोअर कॉलोनी आकार ले रही है। इससे इस बूथ का समीकरण बदला है। यहां अधिकांश आबादी की जीविका का साधन मेहनत-मजदूरी, परिवहन व्यवसायी, दुकानों का संचालन और कुछ निजी क्षेत्र में काम करना है। 2013 में इस बूथ पर कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र मंडलोई को सर्वाधिक 589 वोट मिले थे। प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार और विजयी रहे रामेश्वर शर्मा महज 209 वोट मिले थे। हालांकि, कम वोट मिलने के बाद भी विधायक यहां सक्रिय रहे। क्षेत्रीय पार्षद भी भाजपा के होने से पार्टी को उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस के परंपरागत वोट में सेंधमारी के आसार हैं।
पानी सबसे बड़ा मुद्दा
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यहां का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पेयजल था। दूसरा स्कूल और कचरा प्रबंधन की समस्या, लेकिन इस बार इस क्षेत्र में सबसे पहले नर्मदा जल प्रदाय पर काम हुआ है। स्थानीय व्यापारी राजू भाई मीणा बताते हैं कि 2000 में अब्बास नगर की शिफ्टिंग के बाद से यहां स्कूल की समस्या थी। स्कूल भवन बनने से यह समस्या भी सुलझ गई। अब घर-घर जाकर कचरा उठाया जा रहा है। हालांकि, यहां अपराध भी एक बड़ा मुद्दा है।
पांच साल: समस्याएं जस की तस

इ स बूथ पर लालघाटी से लेकर विजय नगर का मार्केट, रामा कॉलोनी में आधी झुग्गियां और आधा पॉश, नयापुरा गांव के मतदाता आते हैं। जैन नगर, बि_ल नगर, बीडीए कॉलोनी आदि क्षेत्र भी इसमें आते हैं। इनमें अलग-अलग वर्गों के वोटर हैं। दरअसल, बूथ की आबादी वाला कुछ पॉश है तो कुछ मध्यम वर्ग का। वहीं, कई मजदूर परिवार भी यहां रहते हैं। जैन नगर में पुराने शहर की आबादी आकर बस गई है। बीडीए कॉलोनी में मुस्लिम आबादी है। यहां ईसाई वोटर भी हैं, जो चुनाव प्रभावित कर सकते हैं। विधायक रामेश्वर शर्मा को यहां 811 वोट प्राप्त हुए थे। प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार को राजेंद्र मंडलोई को महज 103 वोट मिले थे। हालांकि, यहां विधायक ज्यादा सक्रिय नहीं रहे, इसलिए इस बार यहां भाजपा की पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। यहां सिंधी समाज और जैन समाज के वोटर की संख्या निर्णायक है।
नहीं बना ओवरब्रिज
अंडरब्रिज और ओवरब्रिज की समस्या है जो पिछले चुनावों में थी, इस बार भी काम पूरा नहीं हो सका है। यहां सरकारी कॉलेज भी नहीं है, पुलिस चौकी भी नहीं है। समाजसेवी ओम यादव ने बताया कि क्षेत्र में चौकी न बनने से असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। दिलीप पटेल ने बताया कि समस्याएं जस की तस हैं। पांच साल में सटी हुई कॉलोनियों से नए मतदाता यहां आकर रहने लगे हैं। जाहिर है बस बीच बढ़े मतदाताओं से 2018 का चुनाव प्रभावित हो सकता है।

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