पंजीयव विभाग के अफसर वर्ष 2010 से लगातार कलेक्टर गाइडलाइन की दरों में बढ़ोत्तरी करते चले आ रहे थे। कभी अधिक दरों पर हुई रजिस्ट्री को आधार बनाकर रेट बढ़ाए तो कभी विकास का नाम देकर। कांग्रेस सरकार के समय में प्रदेश में जमीनों की दरों में 20 फीसदी कमी की, लेकिन पंजीयन शुल्क बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया। फरवरी 2020 में कोरोना की आहट के बीच वाणिज्यकर विभाग ने कंस्ट्रक्शन कॉस्ट बढ़ाकर 8000 वर्ग मीटर से 12000 वर्ग मीटर कर दी। जिसे 1 जुलाई से लागू कर दिया गया, ऐसे में आम आदमी की प्लॉट, फ्लैट की रजिस्ट्री में काफी अंतर बढ़ गया। इस कॉस्ट के लागू होने के बाद पहले दिन 145 रजिस्ट्री हुईं हैं। जबकि ये आंकड़ा 200 के करीब पहुंच रहा था।
– कॉस्ट लगाने से पहले विचार करना था निर्माण कॉस्ट बढ़ाने से बाजार पर असर पड़ा है। पहले से स्थिति ठीेक नहीं है। सरकार को कॉस्ट बढ़ाने से पहले एक बार क्रेडाई या अन्य से राय लेना चाहिए थी। इसके बाद इसे लागू करते तो बेहतर रहता।
नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, के्रडाई भोपाल
– सरकार को इंतजार करना था सरकार को ऐसा लगता है कि कंस्ट्रक्शन कॉस्ट बढ़ाने से स्टाम्प ड्यूटी बढ़ सकती है, तो देख लें। लेकिन इस समय सरकार को रियल स्टेट को बूस्टअप करना था। कोरोना के दौरान स्थिति खराब थी। इससे खरीददार पर असर पड़ेगा। स्टाम्प ड्यूटी कम करते तो ज्यादा अच्छा रहता।
नीरज मेकर, प्रमोटर, मेकर रियल वेंचर