यहां से इतने कैदी हुए रिहा…
भोपाल से 15, ग्वालियर से 44, जबलपुर से 17 और इंदौर से 12 कैदी रिहा हुए हैं। इस मौके पर रिहा हुए कैदियों के परिजन भी काफी तादाद में जेल के बाहर अपनों का इंतजार करते नजर आए। अपनों को देखकर रिहाई के बाद कैदियों की आंखों में आंसू छलक पड़े।सालों बाद अब ये कैदी अपनों के साथ रह सकेंगें।
भोपाल से 15, ग्वालियर से 44, जबलपुर से 17 और इंदौर से 12 कैदी रिहा हुए हैं। इस मौके पर रिहा हुए कैदियों के परिजन भी काफी तादाद में जेल के बाहर अपनों का इंतजार करते नजर आए। अपनों को देखकर रिहाई के बाद कैदियों की आंखों में आंसू छलक पड़े।सालों बाद अब ये कैदी अपनों के साथ रह सकेंगें।
इंजीनियर की डिग्री हाथ में लेकर हुआ रिहा…
इन्हीं कैदियों में एक ऐसा कैदी भी है जो मर्डर के केस में जेल गया था, और सालों से सजा काट रहा था, लेकिन जब वह बाहर निकला तो हाथ में इंजीनियर की डिग्री और कई सपने थे। ये कहानी भोपाल सेंट्रल जेल से रिहा हुए रामकृष्ण कालू राम की है। जो पेशे से शिक्षक है, और सालों पहले गुस्से में आकर एक व्यक्ति की हत्या कर बैठे थे। जब सजा सुनाई गई तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी।
इन्हीं कैदियों में एक ऐसा कैदी भी है जो मर्डर के केस में जेल गया था, और सालों से सजा काट रहा था, लेकिन जब वह बाहर निकला तो हाथ में इंजीनियर की डिग्री और कई सपने थे। ये कहानी भोपाल सेंट्रल जेल से रिहा हुए रामकृष्ण कालू राम की है। जो पेशे से शिक्षक है, और सालों पहले गुस्से में आकर एक व्यक्ति की हत्या कर बैठे थे। जब सजा सुनाई गई तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी।
रामकृष्ण ने पश्चाताप के रुप में सजा काबूल कर अच्छा व्यक्ति बनने की ठानी और अपनी शिक्षा जेल में ही जारी रखी। गणतंत्र दिवस पर रिहाई के 14 साल की सजा के दौरान उन्होंने असम यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके साथ ही रामकृष्ण ने जेल में रहकर ही कम्प्यूटर ऑपरेटिंग का काम भी किया। वे अब अपनी डिग्री और कम्प्यूटर के ज्ञान के माध्यम से एक नया जीवन बनाएंगें।
उसके अलावा भी रिहा हुए बाकी कैदियों में से किसी ने कम्प्यूटर का डिप्लोमा किया, तो किसी ने एमबीए या फिर दूसरे विषयों पर डिग्री हासिल की।
उसके अलावा भी रिहा हुए बाकी कैदियों में से किसी ने कम्प्यूटर का डिप्लोमा किया, तो किसी ने एमबीए या फिर दूसरे विषयों पर डिग्री हासिल की।
ज्ञात हो कि पिछले साल गणतंत्र दिवस पर प्रदेश की जेलों में सजा काट रहे करीब 150 से ज्यादा बंदियों को रिहा किया गया था। इसमें भोपाल सेंट्रल जेल से 16 कैदी थे।