ज्यादातर ने कहा कि नंबर तो जनता और पार्टी ही काम के आधार पर देगी। वहीं, वे आरक्षण और सवर्ण आंदोलन पर खुलकर कुछ नहीं कह सके। कुछ मंत्रियों ने आर्थिक आधार और सभी को समानता की बात जरूर कही। ज्यादातर मंत्री इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे।
ये थे सात सवाल
1. क्या सवर्ण आंदोलन को चुनावी चुनौती मानते हैं?
2. मंत्री के रूप में आपका सबसे बड़ा काम?
3. कोई एक ऐसा काम, जो आप मंत्री रहते नहीं कर पाए?
4. क्या आप अपने परिवार को राजनीति में लाने के पक्षधर हैं?
5. राजनीति में भी रिटायरमेंट की उम्र होनी चाहिए?
6. आरक्षण को लेकर आपकी राय क्या है। रहना चाहिए या खत्म होना चाहिए?
7. क्या आप अपने काम से संतुष्ट हैं? खुद को 10 में से कितने नंबर देंगे?
जयंत मलैया – वित्त मंत्री, ने ये दिया जवाब
1. कोई असर नहीं है।
2. सिंचाई पांच गुना की। वित्तीय प्रबंधन संभालना बेहद महत्वपूर्ण काम रहा है।
3. जो नहीं कर पाया हूं, ऐसा कोई काम मुझे याद नहीं।
4. ये व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर है कि वो राजनीति में आए या नहीं।
5. राजनीति में रिटायरमेंट भी व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर करता है। वो चाहे तो हो और न चाहे तो रिटायर
न हो।
6. एक ही बात कहूंगा, सबको न्याय मिलना चाहिए।
7. खुद को नंबर मैं नहीं देता। नंबर जनता देगी।
इन्ही सवालों पर तकनीकी शिक्षा, राज्यमंत्री, दीपक जोशी ने कहा –
1. लोकतंत्र में आंदोलन का अधिकार है। ये चुनौती हो भी सकता है और नहीं भी।2. इंजीनियरिंग की परीक्षा हिंदी में शुरू करवा दी।
3. शिक्षक के सम्मान को बरकरार रखने की कोशिश करता रहा, लेकिन नहीं कर पाया। ऐसी व्यवस्था हो कि पंच से पीएम तक शिक्षक से अनुमति लेकर ही स्कूल में प्रवेश कर पाए।
5. रिटायरमेंट की उम्र होना चाहिए। जब तक फिट हैं, तभी तक कार्य करना चाहिए।
6. आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए।
7. अडंग़ेबाजी के कारण मन का काम नहीं कर पाया। बार-बार पीएस बदलते गए। मैं अपने काम से संतुष्ट नहीं। पांच नंबर ही देता हंू।