रीवा। विंध्य क्षेत्र में इंसेफेलाइटिस का प्रकोप शुरू हो गया है। महज सात दिन के भीतर इस बीमारी के चपेट में डेढ़ दर्जन बच्चे आ चुके हैं और दो बच्चों की मौत हो गई है। हैरानी की बात ये है कि उत्तर भारत में मौत का पर्याय यह बीमारी तेजी से पैर पसार रही है और जिम्मेदार अधिकारी कागजों में बीमारी नियंत्रण का खाका ही खींच रहे हैं।
जानकारी के अनुसार गुरुवार को निपनिया निवासी महेश बंसल का चार वर्षीय बालक आकाश बंसल, सीधी निवासी कल्पना बैगा पुत्री प्रेमलाल को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के चलते जीएमएच (गांधी स्मारक चिकित्सालय) में भर्ती किया गया है। वहीं राकेश कोल, रिनैद शाह, शिव बैगा सहित करीब 15 बच्चे पहले से पीआईसीयू में भर्ती हैं। जिनका उपचार चल रहा है।
शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योती सिंह ने बताया कि इंसेफेलाइटिस का प्रकोप बढ़ रहा है। दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है। स्थिति खतरनाक रूप ले रही है। हर दिन दो से तीन बच्चे इस बीमारी के अस्पताल पहुंच रहे हैं। गंभीर अवस्था में बच्चे आ रहे हैं उन्हें फौरन वेंटीलेटर पर रखना पड़ रहा है।
गौर करने वाली बात ये है कि रीवा, सतना और सीधी विंध्य के सभी जिलों से इंसेफेलाइटिस के केस सामने आ रहे हैं। इंसेफेलाइटिस वायरस 6 से 15 साल के बच्चों पर अटैक कर रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह बीमारी उत्तर भारत के पूर्वी हिस्से गोरखपुर में बीते 36 सालों से कहर बरपा रही है। विंध्य क्षेत्र में बीते वर्ष वायरस ने अटैक किए थे। इस वर्ष पहले से ज्यादा स्ट्रांग रूप में वायरस बच्चों पर अटैक कर रहा है। महज तीन से चार घंटे में बच्चों की स्थिति नाजुक हो रही है। कई बच्चों को रेफर भी करना पड़ा है।
जांच का अभाव, सरकार से गुहार
उधर जीएमएच के शिशु रोग विशेषज्ञों की धड़कनें बढ़ गई है। गुरुवार को विभागाध्यक्ष ने सभी सीनियर डॉक्टरों के साथ बैठक की। दरअसल, इंसेफेलाइटिस की जांच की सुविधा प्रदेश में नहीं है। जीएमएच से ब्लड सेंपल पूणे स्थित नेशनल वायरोलॉजी लैब भेजने पड़ते हैं। रीवा से पूणे रोजाना सेंपल भेज पाना संभव नहीं है। विभागाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार को पत्र लिख रहे हैं कि यहां पर जांच की तत्काल सुविधा कराई जाए। जिस तेजी से केस आ रहे हैं उसे देखते हुए स्थिति अनियंत्रित हो सकती है।
बीते वर्ष 14 बच्चों की गई थी जान
वर्ष 2016-17 में जुलाई और अगस्त के महीने में रीवा जिले में इंसेफेलाइटिस ने कहर बरपाया था। दो महीने के भीतर 42 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आए थे जिनमें से 14 बच्चों को तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं बचाया जा सका था।
नहीं हुआ अलर्ट, नींद में महकमा
सात दिन के भीतर जीएमएच में विंध्य के रीवा, सतना और सीधी से डेढ़ दर्जन बच्चे इंसेफेलाइटिस पीडि़त पहुंच गए। दो बच्चों की मौत भी हो गई है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक अलर्ट नहीं जारी किया गया है। न ही जिला प्रशासन ने इस पर संज्ञान लिया है। इस बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए कोई उपाय विभाग की ओर से अभी तक शुरू नहीं किए गए हैं।
ये हैं लक्षण: -अचानक बुखार आना।
-बुखार के साथ उल्टी ।
-भयंकर सिरदर्द होना।
-बेहोशी से पहले झटके आना।
मच्छर से बचें: इंसेफेलाइटिस मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छरों से बचने के उपाय मच्छरदानी लगाकर ही सोएं। घर में पानी एकत्र न रखे। बरसात का पानी घर के आसपास एकत्र न होने दे। जलभराव वाले स्थानों पर कीटनाशकों का स्पे्र किया जाए।