दरअसल, रोशनपुरा चौराहे पर गुरुवार को दर्जनों की संख्या में ट्रैफिक पुलिस के मंच के पास जवान तैनात थे। उस चौराहे से बिना हेलमेट के गुजर रहे लोगों को रोकती और फिर उन्हें मंच पर ले जाती। चाहे वह पुरुष या फिर महिला सभी के लिए एक बराबर सजा थी। मंच पर पहुंचे ही वहां मौजूद जवान लोगों के टेस्ट का पेपर थमा देते थे। जिसमें अपना नाम पता भरकर उस सवाल का जवाब देना होता था। सवाल था कि हेलमेट क्यों नहीं पहना।
ऐसे पांच सौ लोग पकड़े गए
पुलिस के इस अभियान के दौरान करीब पांच सौ लोग बिना हेलमेट के पकड़े गए। जिनसे निबंध लिखवाया गया। निबंध लिखने के दौरान कई लोगों ने तो अपनी गलती स्वीकार की। मगर कई ऐसे लोगों थे, जिन्होंने ऐसे-ऐसे तर्क दिए, जिसे पढ़ पुलिसवाले हैरान रह गए। गलती स्वीकार करने वाले लोगों ने यह शपथ भी ली कि वह आगे से हेलमेट पहनकर चलेंगे।
गोपाल वर्मा नाम के एक वाहन चालक ने लिखा कि मेरी दादी की अचानक तबियत खराब हो गई। जल्दी-जल्दी में मुझे हेलमेट पहनने की याद नहीं आई।
अंजली ने लिखा कि मेरी सहेली के घर में प्रॉब्लम है, उसे जल्दी में बस स्टैंड छोड़ना था। हेलमेट नहीं पहन पाई।
अनुराग देशमुख ने लिखा कि मेरी एक्टिवा पंचर हो गई थई। पंचर बनवाने आया था।
फतेबहादुर शाह ने लिखा कि मैं बेरोजगार हूं। एक हजार रुपये हर महीने कमा नहीं पाता। आप ही बताइए हेलमेट कैसे खरीद लूं।
उज्जवल कुमार ने कहा कि मुझे जल्दी काम पर जाना था। इसलिए हेलमेट नहीं पहना।
दर्शन लाल अहिरवार ने कहा कि सर्वाइकल प्रॉब्लम की वजह से डॉक्टर ने सिर पर पचास ग्राम से अधिक वजन रखने से मना किया है। साबुन भी घिसी हुई लगाता हूं।
आनंदी ने कहा कि मुझे चश्मा लगा है। इसलिए हेलमेट नहीं लगाती।