आरोपियों की पूछताछ में खुलासा हुआ कि बड़ा बाग दफ्तर में कैशियर के साथ काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी ने उन्हें आईडी-पासवर्ड चोरी कर उपलब्ध कराया था। वह इस ऑफिस में एटीपी काउंटर पर बैठता था। पुलिस आउटसोर्स कर्मचारी की तलाश कर रही है। आरोपियों ने गड़बड़ी कर 18 लाख रुपए की चपत लगाई थी।
टीआई जहीर खान ने बताया कि सिंगरौली निवासी राकेश भारती, रीवा निवासी अतुल पाण्डेय को गिरफ्तार किया गया है। राकेश भारती मोरवा-सीधी विद्युत केन्द्र में डाटा ऑपरेटर है, जबकि अतुल एटीपी ऑपरेटर है। पुलिस ने जिस कम्प्यूटर से फर्जी तरीके से ऑनलाइन बिल जमा किए थे, उसकी हार्ड ***** जब्त की है।
अतुल का रिश्तेदार है सरगना:
जहीर खान का कहना बड़ा बाग एमपीईबी की कैशियर उमा बाथम के साथ आरोपी अतुल पाण्डेय का रिश्तेदार काम करता था। वह आउटसोर्स कर्मचारी था। उसी ने उमा बाथम का ऑनलाइन बिजली जमा करने वाला विभागीय आईडी-पासवर्ड देख लिया और अतुल को बता दिया।
अतुल ने डाटा एंट्री ऑपरेटर राकेश भारती को ये आईडी-पासवर्ड बताया। ट्रायल के लिए आरोपियों ने भोपाल के एक उपभोक्ता का बिजली बिल बाथम की आईडी से जमा कर दिया। बिल जमा होने के बाद अतुल ने ये आईडी पासवर्ड उसके रिश्तेदार को बताया, जिसने चोरी को अंजाम दिया।
एमपी आनलाइन, कियोस्क सेंटर संचालकों से साठगांठ
टीआई ने बताया कि बाथम की आईडी से सिर्फ भोपाल के बिजली उपभोक्ताओं के बिल जमा हो सकते थे। ऐसे में पासवर्ड चोरी करने वाला अतुल के रिश्तेदार ने भोपाल में ऑनलाइन बिजली बिल जमा करने वाले एमपी ऑनलाइन कियोस्क सेंटर के संचालकों से साठगांठ की। यही लोग उपभोक्ताओं की जानकारी देते थे। राकेश व अतुल को बिल की 50 फीसदी रकम मिलती थी। जबकि बाकी की रकम अतुल का रिश्तेदार व एमपी ऑनलाइन, कियोस्क सेंटर के संचालक आपस में बांट लेते थे।
यह था मामला
एमपीईबी के सुल्तानिया जोन मध्य क्षेत्र के प्रबंधक आफताब बेग की तरफ से 24 मई को एफआइआर कराई गई थी कि बड़ाबाग सिंधी कॉलोनी स्थित एमपीईबी के दफ्तर में उमा बाथम कैशियर हैं। कैशियर के पास एक आइडी और पासवर्ड होता है, जो कि एमपीईबी के सर्वर लाइन से जुड़े कम्प्यूटर पर ही आपरेट है। कैशियर सुबह 9.30 से दोपहर 4.30 बजे तक बिजली बिल जमा करती हैं।
बिजली बिल पेमेंट की इंट्री उक्त कंप्यूटर में दर्ज होती है। साथ ही रसीद के माध्यम से हार्ड कॉपी उपभोक्ता को भी जाती है। रोजाना शाम पांच बजे सॉफ्ट और हार्ड कॉपी का मिलान होता है, इसके बाद कैश कंपनी के खाते में जमा होता है। लेकिन बीती 23 मई को गड़बड़ी सामने आई, जिसमें एमपीईबी को साढ़े 18 लाख रुपए की चपत लगाई गई।