-यदि AC कोच में बर्थ खाली रह गई हैं तो स्लीपर कोच के यात्रियों को इसमें बिना कोई अतिरिक्त शुल्क लिए AC कोच में अपग्रेड कर दिया जाता है।
-रेलवे का भी कहना है कि रिजर्वेशन फॉर्म भरते वक्त अपग्रेडेशन के कॉलम में टिक करना होता है। ज्यादातर यात्री पूरा फॉर्म पढ़े बगैर ही इसे भर देते हैं। ऐसे में स्लीपर के यात्रियों का एसी कोच में अपग्रेडेशन हो जाता है, जिसमें एक ही परिवार के सदस्यों को अलग-अलग बोगी में यात्रा करना पड़ती है।
-रेलवे कहता है कि यात्रियों की सुविधा के लिए ही भारतीय रेल ने अपग्रेडेशन सिस्टम शुरू किया है। इसमें रिजर्वेशन काउंटर पर भी पूछा जाता है कि क्या आप अपग्रेडेशन सिस्टम का लाभ उठाना चाहते हैं तो यस पर टिक कर दें। इसके लिए रेलवे मोबाइल नंबर भी लिखवाया जाता है।
ऐसे काम करता है ऑटो अपग्रेडेशन सिस्टम
भारतीय रेल ने स्लीपर क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यह अच्छी स्कीम दी है। चार्ट बनने के दौरान तक यदि AC कोच में सीटें खाली रह जाती है तो वह स्लीपर क्लास के लोगों को उसमें कंफर्म टिकट दे देते हैं, जिससे स्लीपर के अन्य यात्री के लिए भी वेटिंग क्लीयर हो जाती है। यदि सीट खाली रहती है तो नियमित यात्रा करने वाले को उसी पैसे में AC की यात्रा का सुख मिलता है। हालांकि त्योहारों के वक्त ज्यादा भीड़ होने के कारण इस स्कीम का लाभ नहीं मिल पाता है।
बच्चे स्लीपर में पति एसी कोच में
-दिल्ली जाने वाले यात्री संतोष सक्सेना के साथ भी ऐसा ही वाकया हुआ। वे पूरे परिवार के साथ तीर्थ यात्रा के लिए जब भोपाल स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि उनकी एक सीट AC में अपग्रेड हो गई है। इसके बाद उन्हें AC कोच में जाना पड़ा, वहीं पत्नी और बच्चों को स्लीपर कोच में यात्रा करना पड़ी। हालांकि जब तक वे अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचे एक दूसरे के लिए चिंतित रहे।
तीर्थ यात्रा का मजा हुआ किरकिरा
-शिर्डी जाने के लिए जब शैलेंद्र तिवारी भी भोपाल स्टेशन पहुंचे थे तो उन्हें नहीं पता था कि उनकी स्लीपर कोच की सीट अपग्रेड हो गई है। उन्हें AC-2 में सीट मिल गई है। अब वे स्लीपर में अपनी एस-2 के कोच में गए तो वहां किसी दूसरे यात्री को बर्थ अलाट हो जाने से काफी समय तक बहस होती रही, हालांकि टीटीई के आने के बाद मामला समझ आया। पहले से सूचना नहीं होने के कारण उन्हें अन्य यात्रियों के साथ बहस करना पड़ी थी। इसके बाद उन्हें करीब 11 कोचों में से गुजरते हुए AC-2 तक चलती रेल में सामान के साथ चलना पड़ा, जो बेहद कष्टदायक रहा। हालांकि स्लीपर से उन्हें AC-2 में यात्रा का सुख मिल गया।
हनीमून टूर पर बढ़ गई थी दूरी
भोपाल में रहने वाले सागर दंपती के साथ भी अजीब वाकया हुआ। उनकी नई-नई शादी हुई और वे भी स्लीपर से चंडीगढ़ के लिए निकले थे। स्लीपर में सीटें खाली होने के कारण उनकी एक टिकट अपग्रेड होकर एसी-2 में हो गई, जबकि उनकी पत्नी की टिकट स्लीपर में ही रही। हालांकि पति ने अपनी पत्नी को एसी कोच में भेज दिया और वे रात को सोने के लिए स्लीपर में ही यात्रा करने को मजबूर हुए।
रिजर्वेशन से पहले पढ़ें ये नियम
1. आरक्षण फॉर्म को अच्छी तरह से पढ़कर ही भरें।
2. फॉर्म में तीसरे नम्बर पर रेलवे ने बोल्ड अक्षर में टिकट अपग्रेड सुविधा लिखा है, उस पर निशान लगाकर अपनी सहमति दे सकते हैं।
3. अपग्रेडेशन का लाभ चाहने पर बॉक्स में हां लिख दें।
4. अपग्रेड सुविधा नहीं चाहते तो बॉक्स में नहीं लिख दें।
5. इस बाक्स को खाली छोड़ दिया तो यह आपकी तरफ से ‘हां’ ही माना जाएगा।
6. फार्म पर मोबाइल नम्बर जरूर लिखें, इसी पर SMS से भी जानकारी मिल जाएगी।
7. यदि sms नहीं आया है तो कोच में बैठने के पहले चार्ट देखें।