लोकसभा चुनाव परिणाम के 15 दिन बाद कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। वे सात और आठ जून को प्रदेश में रहेंगे। नए प्रदेश अध्यक्ष की चर्चा के बीच उनका ये मध्यप्रदेश दौरा काफी अहम माना जा रहा है। सिंधिया अपने लोकसभा क्षेत्र के गुना, शिवपुरी और अशोकनगर में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे हार के कारणों पर भी चर्चा करेंगे।
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मोदी लहर में सिंधिया घराने के गढ़ में ज्योतिरादित्य की हार को सामान्य चुनावी नतीजों की तरह नहीं लिया जा सकता। 23 मई को चुनाव परिणाम के दिन भी ज्योतिरादित्य दिल्ली में ही थे। हार के बाद वे अपने लोकसभा क्षेत्र में चार जून को धन्यवाद सभा करने वाले थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें दिल्ली में ही रुकने कहा था।
मोदी लहर में सिंधिया घराने के गढ़ में ज्योतिरादित्य की हार को सामान्य चुनावी नतीजों की तरह नहीं लिया जा सकता। 23 मई को चुनाव परिणाम के दिन भी ज्योतिरादित्य दिल्ली में ही थे। हार के बाद वे अपने लोकसभा क्षेत्र में चार जून को धन्यवाद सभा करने वाले थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें दिल्ली में ही रुकने कहा था।
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सिंधिया कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद आठ जून को पीसीसी में होने वाली कांग्रेस कमिटी की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में संगठनात्मक बदलाव के साथ चुनाव की भी समीक्षा होगी। बैठक में सीएम कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह समेत प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।
सिंधिया कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद आठ जून को पीसीसी में होने वाली कांग्रेस कमिटी की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में संगठनात्मक बदलाव के साथ चुनाव की भी समीक्षा होगी। बैठक में सीएम कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह समेत प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।
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कभी उनके करीबी रहे बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव ने ही सिंधिया को करीब एक लाख से ज्यादा वोटों से उन्हें चुनाव हराया है। सिंधिया परिवार 1957 के बाद से कभी भी इस सीट पर चुनाव नहीं हारा है। लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य अपना किला नहीं बचा पाए।
कभी उनके करीबी रहे बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव ने ही सिंधिया को करीब एक लाख से ज्यादा वोटों से उन्हें चुनाव हराया है। सिंधिया परिवार 1957 के बाद से कभी भी इस सीट पर चुनाव नहीं हारा है। लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य अपना किला नहीं बचा पाए।