लोकसभा चुनावों के दौरान सिंधिया प्रदेस में एक्टिव थे भी तो सिर्फ अपने क्षेत्र तक। लेकिन हार के बाद वो प्रदेश से गायब रहे। अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में स्क्रीनिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया है। लेकिन पिछले एक महीने से सिंधिया मध्यप्रदेश में कुछ ज्यादा ही एक्टिव दिख रहे हैं। वो सिर्फ अपने इलाके ही नहीं, प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी जाकर लोगों से मिल रहे हैं।
मांग के बाद बढ़ी सक्रियता
दरअसल, मध्यप्रदेश में पीसीसी चीफ को लेकर जब होड़ मची थी, तब सिंधिया के समर्थक मंत्री और नेता लगातार यह मांग कर रहे थे कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाए। उसके बाद तो हर खेमे के लोगों ने दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी। बात दिल्ली तक पहुंची तो सारे नेताओं की क्लास लगी, उसके बाद जुबानी जंग शांत हुआ। लेकिन उसी वक्त से मध्यप्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय होने लगे। पिछले महीने ही उन्होंने उज्जैन का दौरा किया था। इस महीने दो दिनों तक इंदौर में एक्टिव रहे।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ी
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में इन दिनों काफी एक्टिव हैं। एक सप्ताह पहले उन्होंने भिंड, मुरैना और शिवपुरी के इलाकों में पीड़ित लोगों से जाकर मुलाकात की थी। उसके बाद शाम को भोपाल आकर सीएम कमलनाथ से मिल बाढ़ पीड़ित लोगों की समस्या उनसे बताई। साथ ही आग्रह किया कि पीड़ितों को जल्द से जल्द मुआवजा मिले। सीएम ने भी सर्वेक्षण करवाकर मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में इन दिनों काफी एक्टिव हैं। एक सप्ताह पहले उन्होंने भिंड, मुरैना और शिवपुरी के इलाकों में पीड़ित लोगों से जाकर मुलाकात की थी। उसके बाद शाम को भोपाल आकर सीएम कमलनाथ से मिल बाढ़ पीड़ित लोगों की समस्या उनसे बताई। साथ ही आग्रह किया कि पीड़ितों को जल्द से जल्द मुआवजा मिले। सीएम ने भी सर्वेक्षण करवाकर मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया था।
सीएम के जाने के बाद मंदसौर गए
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक्टिव होने की चर्चा इसलिए भी हो रही है कि क्योंकि प्रदेश की सरकार से लेकर संगठन तक में उनके पास कोई जिम्मेदारी फिलहाल नहीं है। विधानसभा चुनावों की बात छोड़ दें तो सिंधिया ज्यादातर वक्त अपने संसदीय क्षेत्र और ग्वालियर के इलाके में भी एक्टिव रहे हैं। लेकिन इस बार वो मंदसौर और नीमच पहुंचे हैं। वो भी तब एक दिन पहले ही सीएम कमलनाथ वहां जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलकर आए थे और उन्हें मदद का आश्वासन दिया था।
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक्टिव होने की चर्चा इसलिए भी हो रही है कि क्योंकि प्रदेश की सरकार से लेकर संगठन तक में उनके पास कोई जिम्मेदारी फिलहाल नहीं है। विधानसभा चुनावों की बात छोड़ दें तो सिंधिया ज्यादातर वक्त अपने संसदीय क्षेत्र और ग्वालियर के इलाके में भी एक्टिव रहे हैं। लेकिन इस बार वो मंदसौर और नीमच पहुंचे हैं। वो भी तब एक दिन पहले ही सीएम कमलनाथ वहां जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलकर आए थे और उन्हें मदद का आश्वासन दिया था।
इन्होंने भी किया वादा
जब प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार है और सीएम वहां के लोगों से मिल मदद का भरोसा दिलाया है। ऐसे में सिंधिया ने वहां जाकर कहा कि सर्वे की कोई आवश्यक्ता नहीं है। प्रदेश सरकार खजाना खोले। इस दुख-दर्द में मैं आपके साथ खड़ा हूं। लोगों को उचित मुआवजा राशि भी मिले।
लोगों की सुनी समस्याएं
यहीं नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बिल्कुल बदले हुए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वह लोगों के बीच जाकर उनकी बातें सुन रहे हैं, साथ ही उनसे हमदर्दी भी जता रहे हैं। यहीं नहीं उनकी पीड़ा सुन वो कई बार भावुक भी हो जा रहे हैं। ऐसी कई तस्वीरें सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर भी की है।
यहीं नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बिल्कुल बदले हुए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वह लोगों के बीच जाकर उनकी बातें सुन रहे हैं, साथ ही उनसे हमदर्दी भी जता रहे हैं। यहीं नहीं उनकी पीड़ा सुन वो कई बार भावुक भी हो जा रहे हैं। ऐसी कई तस्वीरें सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर भी की है।
बुधवार को भिंड-मुरैना में
मंगलवार को मंदसौर और नीमच के बाद बुधवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया भिंड और मुरैना के इलाके में एक्टिव दिखे। यहां भी उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों से मिले। इस दौरान उनके खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी मौजूद रहे।
मंगलवार को मंदसौर और नीमच के बाद बुधवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया भिंड और मुरैना के इलाके में एक्टिव दिखे। यहां भी उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों से मिले। इस दौरान उनके खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी मौजूद रहे।
यहां सिंधिया लोगों से जाकर न बल्कि मुलाकात की। साथ ही खेतों में उतर फसलों का जायजा भी लिया। साथ ही जिनके फसल और घर बाढ़ से बर्बाद हो गए हैं, उन्हें ढाढस भी बंधाया कि मैं आपके साथ हूं। कुछ जगहों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी तरफ से लोगों को मदद भी पहुंचाया है।
क्या ये है बात
ऐसे में चर्चा यह है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना वजूद बनाए रखना है तो लोगों के बीच में खुद को एक्टिव रखना होगा। शायद सिंधिया इसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं कि पावर कॉरिडोर में अपनी हनक के बरकार रखने के लिए प्रजा से खुद को जोड़कर रखना होगा। साथ ही प्रदेश में लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी। अपनी बदली हुए रणनीति के तरह शायद सिंधिया अब खुद की महाराज वाली छवि भी बदलना चाह रहे हैं।
ऐसे में चर्चा यह है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना वजूद बनाए रखना है तो लोगों के बीच में खुद को एक्टिव रखना होगा। शायद सिंधिया इसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं कि पावर कॉरिडोर में अपनी हनक के बरकार रखने के लिए प्रजा से खुद को जोड़कर रखना होगा। साथ ही प्रदेश में लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी। अपनी बदली हुए रणनीति के तरह शायद सिंधिया अब खुद की महाराज वाली छवि भी बदलना चाह रहे हैं।
क्या मिला है कोई सिग्नल
सिंधिया मध्यप्रदेश में पीसीसी चीफ के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। एक मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद वह बिल्कुल बदल गए हैं। सिंधिया अब प्रदेश में आते हैं तो आमलोगों के साथ-साथ विरोधी खेमे के नेताओं से भी उनके घर जाकर मिल रहे हैं। तो क्या सिंधिया को इस कुर्सी के लिए वहां से सबको साधने के संदेश मिला है।
सिंधिया मध्यप्रदेश में पीसीसी चीफ के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। एक मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद वह बिल्कुल बदल गए हैं। सिंधिया अब प्रदेश में आते हैं तो आमलोगों के साथ-साथ विरोधी खेमे के नेताओं से भी उनके घर जाकर मिल रहे हैं। तो क्या सिंधिया को इस कुर्सी के लिए वहां से सबको साधने के संदेश मिला है।