बुधवार को दोपहर में राजनीति के दो दिग्गज परिवारों का मिलन हुआ। बताया जा रहा है कि रियासत काल से ही दोनों राजघरानों में प्रतिद्वंदिता चली आ रही है। यह प्रतिद्वंदिता राजनीति में भी है। ऐसे में अचानक दो राजघरानों के राजकुमारों का मिलन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राघौगढ़ किले में पहुंचे सिंधिया
इधर, दोपहर में ज्योतिरादित्य सिंधिया राघौगढ़ स्थित दिग्विजय सिंह के महल में पहुंचे जहां पहले उनके स्वागत की तैयारी की गई थी। बड़ी संख्या में यहां स्थानीय कांग्रेस नेता समेत कई नेता मौजूद थे।
राघौगढ़ महल में प्रवेश करने के लिए जैसे ही सिंधिया का काफिला वहां रुका तो विधायक जयवर्धन सिंह ने उनकी कार का दरवाजा खोलकर उनका स्वागत किया।
इसके बाद सिंधिया किले के भीतर स्थित महल का नजारा लेते हुए महल में चले गए, जहां इंतजार कर रहे जयवर्धन सिंह के परिवार के लोगों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद साथ में भोजन किया।
इधर, सिंधिया ने मीडिया से चर्चा में कहा कि जयवर्धन सिंह देश का भविष्य है। सिंधिया ने जयवर्धन सिंह की सराहना करते हुए कहा कि जयवर्धन की विचारधारा जनसेवा से प्रेरित है। दिग्विजय से मुलाकात नहीं होने पर सिंधिया ने कहा कि समय के साथ ही तालमेल बैठ पाता है।
-कर्नाटक चुनाव पर सिंधिया ने कहा कि देश का नागरिक खतरे में है।
-खुद के मुताबिक मोदी सरकार नियम बदल रही है। प्रजातंत्र को कुचलने की कोशिश है।
-भाजपा की कोशिश है कि चित भी मेरी और पट भी मेरी।
गुना जिले की राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जयवर्धन सिंह के आग्रह पर गुना-शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया लंच पर राघौगढ़ किले पर पहुंचे। यह पहली बार है जब सिंधिया राजघराने का कोई सदस्य राघौगढ़ किले पर पहुंचा हो।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राघौगढ़ रियासत के राजा साहब के नाम से जाने जाते है। वहीं ग्वालियर रियासत के महाराजा माधवराव सिंधिया माने जाते थे। माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। लेकिन वे नहीं रहे। अब उनकी जगह उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ले ली। अब वे पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अनुपस्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया राघौगढ़ किले पर पहुंचे। सिंधिया दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के आग्रह पर लंच पर पहुंचे थे। लंच पर हुई राजनीतिक चर्चा
राघौगढ़ किले के सूत्रों के मुताबिक जयवर्धन सिंह के साथ खाने पर राजनीतिक चर्चा भी हुई। दोनों ही कांग्रेस के नेता है। सिंधिया मध्यप्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी हैं। दोनों ही राजनीतिक घरानों का साथ मिलने के पीछे माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव में प्रतिद्वंदिता भूलकर साथ-साथ आगे बढ़ने की तैयारी की जा रही है।