समर्थक को कोई मंत्री नहीं बनवा सके
प्रदेश की सियासत में कैलाश का कद लगातार कम हुआ है। मौजूदा मंत्रिमंडल में भी कैलाश का कोई समर्थक मंत्री नहीं है। वे अपने कोटे से एक भी मंत्री नहीं बनवा सके। इंदौर से 5 रमेश मेंदोला को मंत्री बनाने के प्रयास विफल रहे। इससे पूर्व पिछले कार्यकाल में भी वे किसी की को मंत्री नहीं बनवा सके थे।
मध्य प्रदेश से आगे निकल नहीं सके
प. बंगाल चुनाव के बाद कैलाश ने कहा था कि वह मप्र से बहुत आगे निकल चुवे हैं। उनकी मौजूदा छटपटाहट और गतिविधियां बताती है यह बस बयान ही था। कैलाश के लिए इंदौर में बेबसी भी बड़ी वजह है। वहां की सियासत और प्रशासनिक निर्णयों में उनकी बात नहीं सुनी जा रही। कोरोना पीक पर था, तब वे पश्चिम बंगाल चुनाव से लौटे, तो उन्होंने अप्रेल के अंतिम सप्ताह में बाजार खोलने की बात कही, लेकिन इसे बिल्कुल नहीं सुना गया। इससे पहले भी कई बार कैलाश ने इंदौर शहर की व्यवस्था के लिए कई बातें कही, लेकिन उन्हें अनदेखा किया गया। इस कारण कई बार ट्वीट करके कैलाश को नाराजगी दिखाना पड़ी, लेकिन उसका भी असर नहीं हुआ।
तुलसी गुट की आमद से परेशानी
मंत्री तुलसी सिलावट के भाजपा में आने के बाद इंदौर में नया गुट बन गया है। तुलसी से विवाद की स्थिति में कैलाश को ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी अदावत लेना होगी। सिलावट के इंदौर में मजबूत होने से कैलाश गृह क्षेत्र में ही घिर गए हैं। कैलाश दिग्गजों से मुलाकात कर अप्रत्यक्ष रूप से सियासी वजन बढ़ाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।
प. बंगाल में भाजपा सरकार बनती, तो कैलाश का कद बढ़ जाता। वहां लंबे समय से वे भाजपा को सत्ता में लाने लगे थे। शिकस्त के बाद उनकी उड़ान पर लगाम लग गई। ऐसे में प्रदेश की सियासत में भी उनकी आवाज अब अनसुनी रह जाती है।