मानद उपाधि मिलने पर सत्यार्थी ने कहा कि आज यह उपाधि बड़ी आसानी से मिल गई। लेकिन बीई की डिग्री लेने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। हर जिले में खोले जाएंगे बालगृह : महिला-बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने कहा है कि प्रत्येक जिले में एक-एक शासकीय बालगृह आरंभ किया जाएगा।
15 हजार मामलो में सिर्फ 4 फीसदी को सजा
सत्यार्थी ने कहा कि ने कहा कि बच्चों के लिए पिछले साल ही लागू हुए पॉक्सो कानून के तहत एक साल में ही 15 हजार मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से केवल 4 फीसदी मामलों में ही दोषियों को सजा मिल पाई है। 6 फीसदी आरोपी जहां छूट गए हैं, वहीं 90 फीसदी केस पेंडिंग है। बाल यौन शोषण का सामना हम संकल्प शक्ति और जागरूकता के बल पर ही कर सकते हैं।
सत्यार्थी ने बयां की देश में बाल अपराध की भयावह स्थिति
इन मामलों से चिंतित दिखे सत्यार्थी
* कैलाश सत्यार्थी ने देश की न्यायिक व्यवस्था की बदतर स्थिति बयां करते हुए कहा कि भारत सरकार और यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि 53 फीसदी बच्चे बाल यौन शोषण के शिकार हैं।
* पिछले साल प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट के तहत 15 हजार मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से केवल 4 फीसदी मामलों में ही आरोपियों को सजा मिल पाती है।
* सिर्फ 6 फीसदी मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं। इससे भी चिंताजनक स्थिति ये है कि 90 फीसदी मामले लंबित रहते हैं।
* लंबित मामले चिंतन की स्थिति में हैं, कि यदि आज के बाद बाल अपराध होने बंद हो जाएं तो लंबित मामलों का निपटारा करने में 10 से 40 साल का समय लग जाएगा।
* सत्यार्थी ने इन अपराधों को समाज के लिए भद्दा मजाक कहा। उन्होंने कहा कि 1992 के बाद से दुनियाभर में बाल मजदूरी की संख्या 26 करोड़ से घटकर 15 करोड़ हुई है, लेकिन बाल अपराध बढ़ते जा रहे हैं।
* देश में हर 2 बच्चे में से एक बच्चा छेड़छाड़ और अन्य बाल अपराधों का शिकार है।
* सत्यार्थी ने कहा कि बाल अपराधों में अब तक 100 में से 70 फीसदी मामलों में उनके नाते-रिश्तेदार ही मर्यादाएं तोड़ते हुए राक्षस बन जाते हैं।
* ऐसे में रिश्तेदारी का वास्ता, घर की इज्जत का ख्याल करने वाले माता-पिता इन मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय चुप्पी साध लेते हैं नतीजन अपराध बढ़ ही रहे हैं।
मुफ्त इलाज की दिलाई शपथ
भावी चिकित्सकों को यौन उत्पीडऩ के मामलों में संवेदनशील रहने और पीडि़त का मुफ्त इलाज करने की शपथ सत्यार्थी ने दिलाई। उन्होंने विद्यार्थियों से एेसे मामले अपने आसपास के माहौल में तलाशने की अपील की और पीडि़त की सहायता के लिए आगे आने का आव्हान किया।