दिल्ली से लौटने के बाद मंगलवार को पार्टी नेताओं के साथ कमलनाथ ने ताबड़तोड़ बैठक की। पहले उन्होंने लोकसभा प्रत्याशियों के साथ चर्चा की और उनके इलाके में क्या स्थिति है इसकी जानकारी ली। इसके बाद मंत्रियों और विधायकों से भी बात की। मीटिंग के बाद कमलनाथ ने कहा कि हमारे विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही है।
बीजेपी नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के विधायक हमारे संपर्क में हैं। उस पर सीएम कमलनाथ ने कहा कि हमें अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है। कम से कम हमारे दस विधायकों को उनलोगों ने फोन किया है और उन्हें पद और पैसा ऑफर किया जा रहा है।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस मध्यप्रदेश में बहुमत से महज दो सीट ही दूर है। सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत है। अभी कांग्रेस के पास 114 सीटें हैं। सरकार चार 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी और 1 सपा विधायक के समर्थन से चल रही है।
बीच-बीच में बीएसपी सुप्रीमो मायावती कांग्रेस सरकार से समर्थन वापसी की धमकी देती रहती हैं। लेकिन बीएसपी विधायकों के दूर जाने के बाद भी कमलनाथ सरकार पर कोई खतरा नहीं है। ऐसा में चर्चा है कमलनाथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। क्योंकि जब सरकार बनी थी तो निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी। ऐसे में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इन सात में से कुछ विधायकों को मंत्रि मंडल में जगह मिल सकती है। इससे इनके टूटने का खतरा कम हो जाएगा।
हालांकि सरकार के किसी भी विधायक की तरफ से इस तरह के कोई भी संकेत नहीं मिले हैं कि हमें नाराजगी है। यह दावा सिर्फ बयानों के जरिए ही किया जा रहा है। लेकिन कमलनाथ को आहट हो गई है कि सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है। इसलिए वे सभी को यूनाइट रखने के लिए कुछ लोगों को अपनी टीम में शामिल कर सकते हैं।
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के द्वारा गर्वनर को लिखी गई चिट्टी से एमपी की सियासत में हलचल पैदा हुई। भार्गव ने राज्यपाल को लिखा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में है। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर शक्ति परीक्षण करवाया जाए।