सूत्रों के मुताबिक इस आचार संहिता के तहत मंत्रियों से ये साफ कह दिया जाएगा कि आपसी मतभेदों पर सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर आरोप लगाने की परंपरा अब नहीं चलेगी। वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के बीच का पत्र व्यवहार भी गोपनीय रहेगा। यदि मंत्री को किसी से कोई आपत्ति या विरोध है तो वो सीधे आरोप लगाने की बजाय मुख्यमंत्री को बताएंगे। विवादित विषयों पर मीडिया में बयानबाजी करने की भी मनाही रहेगी। आचार संहिता मंत्रियों को लिखित में नहीं भेजी जाएगी बलेकि वन टू वन चर्चा कर उनको निर्देशित किया जाएगा। मुख्यमंत्री का मानना है कि इस तरह के विवादित घटनाक्रमों से सरकार की छवि पर असर पड़ता है।