इसके अलावा बिजली के निजीकरण में फ्रेंचाइजी मॉडल भी नया लाना तय किया है। अभी तक केवल रीडिंग, बिलिंग व वसूली की फ्रेंचाइजी थी। नए मॉडल में उत्पादन से लेकर वसूली तक को शामिल किया जाएगा। यानी बिजली के परंपरागत ढांचे को बदलने का फैसला हो गया है। इस पर विधानसभा के मानसून सत्र के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।
नया फ्रेंचाइजी मॉडल
बिजली कर्मचारी फ्रेंचाइजी के हिसाब से ही काम करेंगे। उत्पादन से लेकर वितरण, बिलिंग व वसूली तक का जिम्मा फ्रेंचाइजी का होगा। सरकार कंट्रोलिंग और मॉनीटरिंग का काम करेगी। सरकारी उत्पादन प्लांट भी फ्रेंचाइजी डिमांड के हिसाब से उत्पादन करेंगे।
पुराना फ्रेंचाइजी मॉडल
चुनिंदा शहरों में वितरण, बिलिंग व वसूली का काम फ्रेंचाइजी को दिया गया। इसमें निजी कंपनी ने ठेकेदार के तौर पर आपूर्ति के बाद वितरण सिस्टम को कंट्रोल किया। रीडिंग और वसूली का काम भी किया। इस प्रोजेक्ट का विरोध हुआ है, इसलिए इसका स्वरूप बदला जा रहा है।
फ्रेंचाइजी में अब तक
2011 में सरकार ने नौ जिलों में फ्रेंचाइजी देना तय किया, लेकिन विरोध पर मामला अटक गया।
2016 में ग्वालियर, सागर व उज्जैन को एस्सेल कंपनी को फ्रेंचाइजी में दिया। उज्जैन-सागर में कंपनी फेल हो गई।
ग्वालियर फ्रेंचाइजी लेने को एस्सेल कंपनी का अनुबंध निरस्त कर दिया गया।
गोहद, श्योपुर, सबलगढ़, दतिया के सेवढ़ा, शिवपुरी के करैरा, गुना के चंदेरी में फ्रेंचाइजी दी।
जबलपुर व कटनी में फ्रेंचाइजी फेल रही।
ये हैं तीन नए मॉडल
राज्य विद्युत मंडल का गठन किया जाए। बिजली कंपनियां भंग होंगी या मंडल के अधीन कर दी जाएंगी। घाटा नियंत्रण करने मंडल को पहले से अधिक पॉवरफुल बनाया जाएगा। इस पर सरकार ने रिपोर्ट मांगी है।
एक राज्यस्तरीय ट्रांसमिशन-डिस्टीब्यूशन कंट्रोलिंग बॉडी बनाई जाए। यह सरकार और निजी सेक्टर की संयुक्त बॉडी होगी। इसके अधीन बिजली कंपनियां रखी जाएं। फ्रांस से एमओयू के तहत इस पर चर्चा जारी है।
विद्युत मंडल की तरह ही एक कंट्रोलिंग बॉडी का गठन किया जाए। यह सरकारी बॉडी होगी, लेकिन बिजली कंपनियों पर होल्ड करेगी। यह उत्पादन से वितरण व बिलिंग तक को तीन सब कमेटी बनाकर कंट्रोल करें।
बिजली कंपनियों के घाटे को कम करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें नए मॉडल अपनाए जाएंगे। फ्रांस की कंपनी से भी इस पर बात चल रही है। – प्रियव्रत सिंह, मंत्री, ऊर्जा
इसलिए पड़ी जरूरत
बिजली सेक्टर को घाटे से उबारने के लिए राज्य विद्युत मंडल को खत्म करके बिजली कंपनियों का गठन किया गया था, लेकिन बिजली कंपनियां भी घाटे में चल रही है। कर्मचारी संगठनों की ओर से वापस विद्युत मंडल गठित करने की मांग की गई।
15वें वित्त आयोग ने भी सबसे ज्यादा ऐतराज बिजली में ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस पर जताया। इसके बाद सरकार ने कंट्रोलिंग ढांचे में बदलाव करने के साथ निजीकरण के फ्रेंचाइजी मॉडल को बदलने के कदम उठाए हैं।