किसलिए पड़ी जरूरत-
दरअसल, एनजीटी की दिल्ली प्रिंसिपल बैंच ने इन नदियों के लिए एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए थे। इसके चलते पिछले हफ्ते एक्शन प्लान को फायनल कर दिया गया है। अब राज्य के अफसर दिल्ली जाकर इस प्लान को सौंपेंगे। साथ ही अब तक कार्रवाई की रिपोर्ट भी देंगे। कुछ नदियों को लेकर पूर्व से काम चल रहा है। इस कारण उन नदियों पर अब तक किए गए कामों की रिपोर्ट दी जाएगी। इसमें इंदौर की खान और उज्जैन की क्षिप्रा नदी शामिल हैं।
हर नदी के लिए अलग प्लान-
सरकार ने इन 22 नदियों में प्रत्येक के लिए अलग प्लान तैयार किया है। इनके लिए दिसंबर 2020 से लेकर 2022 तक की डैडलाइन तय की गई है, ताकि हर काम समयसीमा में पूरा हो सके। इसके तहत करीब दस हजार करोड़ के प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं। खास बात ये कि सैटेलाइट मैपिंग के जरिए प्रदूषण का मैप तैयार होगा, जिसे पुराने उपलब्ध सैटेलाइट फोटो व अन्य प्राचीन फोटो के जरिए मिलान करके प्रदूषण व बंद जगहों को चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद वहां पर जल प्रवाह के लिए काम होगा।
तीनों उपयोग के अलग लक्ष्य-
सभी 22 नदियों के लिए पेयजल, सिंचाई उपयोग और औद्योगिक उपयोग के लिए अलग से काम होगा। इसके तहत तीनों श्रेणियों में स्थानीय जरूरत के आधार पर प्लान बनना है। इसमें प्रारंभिक आकलन शामिल कर लिया गया है। मसलन, भोपाल, इंदौर, उज्जैन और देवास जैसे शहरों की जरूरत के हिसाब से नदियों को अलग पैटर्न पर पुर्नद्धार किया जाएगा। वहीं बाकी नदियों के लिए अलग प्लान होगा।
ये हैं 22 नदियां-
खान इंदौर, क्षिप्रा उज्जैन, चंबल नागदा, कलियासोत भोपाल, बेतवा मंडीदीप भोपाल, सोन नदी शहडोल, गोहद डेम ग्वालियर, चौपन नदी गुना, पार्वती पीलूखेड़ी गुना, कान्हान बोरगांव छिंदवाड़ा, बिछिया रीवा, टोंस रीवा, मंदाकिनी चित्रकूट सतना, नेवज शुजालपुर देवास, कटनी व सिमरार कटनी, कुंदा खरगौन, ताप्ती बुरहानुपर, चामला बडनग़र, मलेनी जावरा, बेनगंगा छपारा सिवनी।