scriptआपातकाल के 44 साल, कांग्रेस सरकार में इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को नहीं मिल रही पेंशन | kamal nath govt ban misa pension scheme 44 years in emergency | Patrika News
भोपाल

आपातकाल के 44 साल, कांग्रेस सरकार में इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को नहीं मिल रही पेंशन

25 जून 1975 को देश में घो षित हुई थी इमरजेंसी।
तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
आपातकाल के पीछे सबसे अहम वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है।

भोपालJun 25, 2019 / 12:13 pm

Pawan Tiwari

 emergency

आपातकाल के 44 साल, कांग्रेस सरकार में इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को नहीं मिल रही पेंशन

भोपाल. 25, जून 1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल ( Emergency ) की घोषणा की थी। आपातकाल के अब 44 साल हो गए हैं। भाजपा 25 जून को देश के इतिहास का काला दिन कहती है। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और भाजपा ( BJP ) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ( Shivraj Singh Chouhan ) ने इसे काला दिन बताया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से आपातकाल के खिलाफ जेल में रहने वाले मीसाबंदियों की पेंशन रोक दी गई है।
क्या कहा शिवराज सिंह चौहान ने
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- 1975 का वह काला दिन आज है, जब लोकतंत्र का गला घोंटते हुए आपातकाल की घोषणा की गई थी। देश आज भी उन क्रूर यातनाओं को नहीं भूला, लेकिन देश आगे बढ़ेगा। इस संकल्प के साथ कि राष्ट्र उत्थान ही हमारा पहला धर्म है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने, प्राण न्योछावर करने वाले सपूतों को नमन!
https://twitter.com/hashtag/Emergency?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
कांग्रेस सरकार ने रोकी मीसाबंदियों की पेंशन
मध्यप्रदेश में 2003 के बाद 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी। कांग्रेस की सरकार ने मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन पर रोक लगा दी है। जनवरी में मध्य प्रदेश की कमल नाथ सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मीसाबंदी पेंशन योजना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। यह रोक जांच पूरी होने तक लगाई गई है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टरों को एक लेटर जारी किया गया है। यह लेटर दिंसबर महीने की 29 तारीख को जारी किया गया था। इस लेटर में कहा गया था कि लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के भुगतान बजट में अधिक व्यय की स्थितियों महालेखाकार के लेखा परीक्षण प्रतिवेदनों के माध्यम से संज्ञान में आई हैं।
mp
शिवराज सरकार ने शुरू की थी पेंशन
साल 2008 में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार थी। शिवराज सरकार ने मीसाबंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया। बाद में ये पेंशन राशि बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई। इसके बाद साल 2017 में मीसाबंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई थी। प्रदेश में 2000 से ज़्यादा मीसाबंदियों की पेंशन पर सालाना करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होते थे। पेंशन योजना से करीब दो हजार मीसीबंदियों को लाभ मिलता था।
kamal nath
कौन हैं मीसाबंदी
देश में इंदिरा गांधी की सरकार में इमरजेंसी लगाई गई थी। आपातकाल के दौरान जेल गए सेनानियों को मीसाबंदी कहा जाता है। मीसा बंदियों को मीसाबंदी सम्मान निधि के तहत पेंशन दी जाती थी। इसे शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शुरू किया था।
21 महीने तक लागू था आपातकाल
देश में 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही। इसके बाद 1977 में देश में आम चुनाव कराए गए थे जिसमें कांग्रेस की करारी हार हुई थी। आपातकाल के दौरान संजय गांधी सक्रिय थे। वहीं, मध्यप्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ संजय गांधी ( Sanjay Gandhi ) के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो