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भोपाल

Karva Chauth 2017 : सजे बाजार और ऐसे करें चांद का दीदार

करवा चौथ भारत में मुख्यरूप से मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है।

भोपालOct 06, 2017 / 11:56 am

दीपेश तिवारी

Karwa Chauth Pooja 2017
भोपाल। इस पर्व के दौरान विवाहित औरतें अपने पति की लम्बी उम्र के लिये पूरे दिन का व्रत रखती हैं और शाम को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत समाप्त करती हैं। इस दिन भगवान शिव, पार्वती जी, गणेश जी, कार्तिकेय जी और चांद की पूजा की जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में द्रोपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत किया था।
वट सावित्री के अलावा करवा चौथ का यह व्रत भी हिंदू धर्म में महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Karwa Chauth 2017)के दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर पूजा पाठ कर निर्जला व्रत करती हैं। पूरे दिन व्रती रहने के साथ शाम के समय महिलाएं 16 श्रृंगार कर एक जगह इकट्ठी होती हैं और साथ बैठकर जल चढ़ाती हैं और इस व्रत की कथा को पढ़ती और सुनाती हैं। अगर आप इस बार पहली बार व्रत रख रही हैं और साथ में कोई कथा(Karwa Chauth Vrat Vidhi) सुनाने के लिए नहीं है तो परेशान ना हो क्योंकि हम आपको इस व्रत की पूरी कथा बताने वाले बताने वाले हैं। इस साल यह व्रत 8 अक्टूबर को है।
भोपाल में सजे करवाचौथ को लेकर बाजार :
करवाचौथ का व्रत(Karwa Chauth Vrat) महिलाओं के लिए बेहद खुशी लेकर आता है। उनकी इस खुशी को खूब कैश भी कराया जाता है। इस बार भी भोपाल के बाजारों में वे सभी दुकानें सजकर तैयार हो चुकी हैं, जिनका महिलाओं के जरूरत के सामानों से संबंध है। यानि भोपाल की सभी दुकानों में रौनक छाई हुई है, जिनका संबंध महिलाओं से है।
करवाचौथ का व्रत ज्वैलरी और चूड़ी व्यवसाइयों के लिए खुशियों कि सौगात लेकर आती है, लेकिन जानकारों के अनुसार इस बार भोपाल के बाजार में भी महंगाई का असर नजर आ रहा है। करवाचौथ (Karwa Chauth in hindi) का व्रत आठ अक्तूबर को है। मगर बाजार में ग्राहक नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि, दुकानदारों ने करवाचौथ व्रत को लेकर खूब तैयारी की है। हर ब्रांड का सामान रखा है। ताकि आने वाली महिलाओं को निराश होकर न लौटना पड़े।
नव विवाहिता महिलाओं के पंसद को खास तवज्जो दी गई है। वहीं कई बाजार विश्लेषकोंं का मानना है कि इस बार पिछली साल के अपेक्षा कुछ मंदी रहेगी। क्योंकि जीएसटी का भूत भी सिर चढ़कर बोल रहा है। इससे व्यापारी हलकान है।
जीएसटी आने के बाद चूड़ी व्यापारी माल मंगवाने में परेशान हो रहे हैं। हालांकि, पिछले साल इस पर्व के बाद नोटबंदी हुई थी। और नोटबंदी के बाद बाजार पूरी तरह से धराशायी हो गया था। इस साल बिक्री को लेकर भले ही दुकानदारों में खासी उम्मीद है, मगर उनके अनुसार उन्हें जीएसटी ने परेशान कर रहा है। पति कि लंबी उम्र की कामना करते हुए पत्नी के करवाचौथ का व्रत रखने की पुरानी परंपरा है। और करवाचौथ की धूम पूरे उत्तर भारत में होती है और इस दौरान बाजारों में खूब खरीदारी होती है, लेकिन इस बार महंगाई के चलते ग्राहकों के न आने से बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है। व्यवसाइयों का कहना है कि जव से नोटबंदी हुई है। तभी से बाजार में कमी आई है।
ये है व्रत की कथा (Karwa Chauth Vrat Vidhi in hindi) :
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी के साथ उसकी सातों बहुओं और बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं भोजन करूंगी।
साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस पवजह से करवा चौथ का व्रत भंग हो गया और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपनी गलती का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा मांगी और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान दिया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।
कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।
करवा चौथ की व्रत विधि (Karwa Chauth Pooja):
व्रत के दिन सुबह सुबह के अलावा शाम को भी महिलाएं स्नान करें। इसके पश्चात सुहागिनें यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुख-सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’ विवाहित स्त्री पूरे दिन निर्जला (बिना पानी के) रहें। दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा बनाएं, इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलवा बनाएं, पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं।

गौरी को बैठाने के बाद उस पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाए इसके बाद माता का भी सोलह श्रृंगार करें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। सुहागनें भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और करवे में पानी भरकर पूजा करें। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती है और पूजन के बाद कथा पाठ सुनती या पढ़ती हैं। इसके बाद चंद्र दर्शन करने के बाद ही पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस बार करवा चौथ की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 43 और 46 मिनट से लेकर 06 बजकर 50 मिनट तक का है। करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 08.50 बजे है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ ही महिलाएं शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की आराधना भी करें। महिलाएं खास ध्यान रखें कि चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास को दी जाती है।

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