इस योजना की शुरूआत के साथ ही सरकार ने तिलहन और कुछ दालों आदि सहित आठ फसलों के लिए मुआवजा तय किया है। यदि किसान स्वयं इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए कृषि मंडियों में रजिस्ट्रशन अथवा पंजीकरण कराना होगा। मंडियों में इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए किसानों को अपना आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, मोबाइल नंबर और फसल के सभी विवरणों को दर्ज कराना होगा। मुख़्यमंत्री भावान्तर भुगतान योजना के लिए नामांकन 11 सितंबर से शुरू हो जाएंगे। इस योजना के जरिए मिलने वाला मुआवजा सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कर दिया जाएगा।
क्या है मुख़्यमंत्री भावान्तर भुगतान योजना
इस योजना के जरिए सरकार राज्य में किसानों को अधिक तिलहन और दालों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी। सरकार इस योजना के तहत एक आयोग का निर्माण करेगी जो बागवानी फसलों के बाजार मूल्य की सही सिफारिश करेगी।
भावान्तर भुगतान योजना के मुताबिक अगर कृषि उत्पाद की बिक्री मूल्य अधिसूचित कीमत से अधिक है लेकिन MSP से कम है तो उनके बिक्री मूल्य और MSP के बीच का अंतर उनके बैंक खाते में सीधे जमा होगा। यदि किसान की बिक्री मूल्य अधिसूचित मूल्य से कम है तो किसान को सूचित कीमत और MSP के बीच के अंतर का मूल्य मिल जाएगा।
भावान्तर भुगतान योजना के अंतर्गत अभी इन फसलों पर मिलेगा मुआवजा
सरकार की इस सूची में 8 फसलों के नाम हैं जो कि भावान्तर भुगतान योजना के तहत शामिल की जाएंगी। ये फसलें हैं सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और तुअर दाल। आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक राज्य भर में 65 लाख किसानों की पहचान की गई है जो पूरे राज्य में तिलहन और दाल उत्पादों की खेती करते हैं और इस योजना के तहत नामांकन कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इन 8 फसलों के अलावा बागवानी से जुड़ी फसलों को भी शामिल किया जा सकता है।