यादों में खोए श्रोता
अगली कड़ी में शिव राव ने शोभना प्रधान के साथ मिलकर गीत तुम आ गए हो नूर आ गया है, इस मोड़ से जाते हैं, तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा, जाने जां ढूंढता फिर रहा, देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए… आदि डुएट गाए। कार्यक्रम का स्क्रिप्ट लेखन रफी शब्बीर व संगीत संयोजन वतन धूरिया का रहा। ढोलक पर मूलचंद तिरैया, की-पैड पर प्रवीण बाली, गिटार पर संदीप वर्मा, की-बोर्ड पर राजू राव और वतन धूरिया और बेस गिटार पर सार्थ रायकवार ने संगत दी।
न कोई दिल में समाया…
सम्राट संगीत साधना सेवा समिति ने किशोर कुमार की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘यादों में वो’ संगीत संध्या का आयोजन कुक्कुट भवन सभागार में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. वासुदेव सरकार ने पंक्षी हूं मैं… गीत से की। इसके बाद अनिल कोचर ने घुंघरू की तरह… गीत गाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी। ग्रुप के अध्यक्ष सुनील शुक्रवारे ने यादों में वो…, जब चाहा यारा तुमने…, न कोई दिल में समाया… आदि गीतों की प्रस्तुति दी। वहीं, पूर्वी फडनीस ने सुनील के साथ सुनो कहो…, दिन महीने साल… गीत डुएट गाया। भावना नवले और मिलिन मिश्रा ने कह दूं तुम्हें… गीत गाकर श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। अनमोल सक्सेना ने जाने कैसे कब कहां…, तेरे मेरे मिलन की रैना… जैसे मधुर गीतों से मोहब्बत के रंग घोल दिए। संगीत संयोजन गितेश सोनईकर का रहा और लीड गिटार पर संजीव झा, तबले पर आनंद भट्टाचार्य और ढोलक पर राजकुमार सक्सेना ने संगत दी।