भोपाल

यूक्रेन से लौटे छात्रों के भविष्य पर सवाल, जानिए अब उनके पास क्या बचे हैं विकल्प

बच्चों के भविष्य की चिंता

भोपालMar 31, 2022 / 09:32 am

deepak deewan

भोपाल. भले ही ज्यादातर लोगों को रूस और यूक्रेन के युद्ध से कोई खास फर्क ना पड़ रहा हो लेकिन जिनके बच्चे यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे उनके अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से भारत लौटे मेडिकल के छात्रों में मध्यप्रदेश के भी सैंकडों छात्र हैं। उनकी पढ़ाई अब कैसे और कब शुरू होगी इसको लेकर छात्रों के साथ- साथ उनके अभिभावकों को फिक्र होने लगी है।

यूक्रेन से मध्यप्रदेश लौटे कुछ छात्रों ने बताया कि उनकी अब ऑनलाइन क्लास लगेगी. ये क्लासेस 1 अप्रेल से शुरू होने वाली है। इसको लेकर कॉलेज की ओर से आधिकारिक मेल भी उनके पास आ गया है। हालांकि ज्यादातर छात्रों ने बताया कि ऑनलाइन क्लास सिर्फ खानापूर्ति ही है। कुछ छात्रों का ये भी कहना है कि ऑनलाइन क्लास में नेटवर्क जैसी समस्या भी बहुत ज्यादा आती है।

छिंदवाड़ा निवासी इशिका सरकार ने कहा कि हमारा फाइनल ईयर है हमारी तो पूरी डिग्री दांव पर लगी है। थ्योरी तो ठीक है, पर प्रैक्टिकल कैसे हो पाएंगे। इसको लेकर सरकार को सोचना चाहिए। छात्रों का कहना है कि हमें ऑफलाइन क्लास की दरकार है. वहां जैसे हालात हैं वैसे में ऑनलाइन क्लास ले पाना भी संभव नहीं लगता है।

कर्नाटक सरकार ने केंद्र के साथ एनएमसी को प्रस्ताव भेजा है कि मेडिकल विद्यार्थियों की पढ़ाई कराई जाए लेकिन छात्रों की डिग्री और परीक्षा का कार्य यूूक्रेन से संबंधित विश्वविद्यालय ही संचालित करेगा। वहीं महाराष्ट्र सरकार भी सामाजिक संगठनों और निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर अप्रेल से तीन महीने का कोर्स करवाने की तैयारी कर रही है।

इधर, मध्यप्रदेश लौटे मेडिकल छात्रों को भी भविष्य को लेकर संशय है। उनकी मांग है कि प्रदेश सरकार भी उनकी पढ़ाई को लेकर कोई पहल करे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि अन्य राज्यों के फैसले का मामला संज्ञान में नहीं है। नेशनल मेडिकल काउंसिल से जो निर्णय लिया जाएगा उसका पालन होगा।

ये हैं विकल्प
— वर्तमान हालातों को देखते हुए ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई जारी रखी जाए
— हालात सुधरने पर यूक्रेन वापस जाकर पढ़ाई पूरी की जाए
— यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो छात्रों की पढ़ाई अधूरी रहेगी
— इस स्थिति में राज्य सरकार को अन्य दो राज्यों की तरह यहीं विकल्प तलाशने होंगे

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