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भोपाल

कृष्णा को हेलीकॉप्टर से उतारकर थोप नहीं रहे, टिकट उन्हें मिले या मुझे बात घर की ही है

गौर बोले उम्र के कारण नहीं कटेगा टिकट, कृष्णा बोली हर कार्यकर्ता की इच्छा होती है चुनाव लडऩा

भोपालOct 28, 2018 / 08:52 am

शकील खान

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Krishna is not imposed by helicopter, he is a public choice

भोपाल. भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर भाजपा के बाबूलाल गौर और उनकी बहू कृष्णा गौर आमने-सामने हैं। दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। बाबूलाल की, नजर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आश्वासन पर एकटक टिकी हुई हैं तो कृष्णा की आस भारतीय जनता पार्टी के तीन बिंदुओं पर।

एक ससुर की अधिक उम्र, दूसरा स्वयं का बतौर विधानसभा प्रत्याशी के रुप में नया चेहरा और महिला होना। दोनों ही टिकट हासिल करने के लिए पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। बाबूलाल, बहू को टिकट दिलाने से ज्यादा खुद टिकट लेने की कोशिश कर रहे हैं। पेश है, चुनाव, टिकट, ससुर-बहू, परिवार वाद पर दोनों से पांच

सवालों के जवाब-

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पांच सवाल, बाबूलाल गौर से

सवाल – टिकट की जद्दोजहद में सब लगे हुए हैं आप भी कतार में हैं क्या सोचते टिकट मिलेगा या ससुर को ही फिर मौका मिलेगा?
जवाब- सर्वे किया गया है। कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह गए कि एक बार फिर बाबूलाल गौर। उनका आशीर्वाद तो मिल गया। अब चुनाव समिति तय कर दें कि मुझे ही टिकट देना हैं तो अच्छा है।

मुझे टिकट दिया तो मैं चुनाव लड़ूंगा। मैं इस बारे में पार्टी के पदाधिकारियों से मिल भी रहा हूं। आज ही विनय सहस्त्रबुद्दे से मिला हूं, उन्हें मैंने सब बता दिया। उन्होंने कहा कि आपकी बात चुनाव समिति तक पहुंचा दी जाएगी।

सवाल- आप उनके लिए टिकट मांग रहे या खुद के लिए?
जवाब- दोनों अपने-अपने लिए मेहनत कर रहे हैं। मैं मेरे लिए और कृष्णा अपने लिए। जिसे मिल जाए। हम दोनों के अलावा किसी अन्य को टिकट देने की मुझे उम्मीद कम है। मैं नहीं मानता हूं कि किसी अन्य को टिकट मिलेगा।

सवाल – पार्टी, उम्र की भी बात कर रही और नए चेहरे की भी यह दोनों ही क्राइटेरिया आपके परिवार में हैं और गोविंदपुरा सीट पर लागू ही यह सामने आ रहा है?
जवाब- पार्टी में उम्र का कोई क्राइटेरिया नहीं है। पार्टी तो यह चाहती है कि जो चुनाव जीते उसे टिकट दो। पार्टी की सुरक्षित सीट इसलिए किसी को भी खड़ा कर देना उचित नहीं। सुरक्षित सीट से इंदिरा गांधी, संजय गांधी भी चुनाव हार चुके हैं। पार्टी को मूल्यांकन करना पड़ेगा। कोई लहर काम कर जाए तो कुछ भी हो सकता है। कृष्णा जी को टिकट दिया जाता है तो वह भी इसके काबिल है। पार्टी की सक्रिय कार्यकर्ता है। महापौर रही है। महिलाओं के बीच अच्छी पकड़ हैं। कृष्णा जी को सभी अपने परिवार की बहू-बेटी मानते हैं।

सवाज – बहू (कृष्णा) को टिकट मिला तो आप क्या करेंगे, क्या रणनीति रहेगी?
जवाब- यह तो घर की बात है। परिवार ही तो हैं। मैं जैसे मेरे लिए काम करता हूं, एेसे ही कृष्णाजी के लिए काम करूंगा। दोनों का एक ही तो परिवार है। मेरे कार्यकर्ता ही कृष्णा के कार्यकर्ता है। मेरा क्षेत्र ही उनका है। जब वे महापौर थी तो उन्होंने यहां बहुत काम किया। लोग उन्हें चाहने लगे।

सवाल – एक ही परिवार की बात कर रहे तो यह वंश्वाद-परिवार वाद नहीं होगा?
जवाब- वंशवाद-परिवार वाद वहां होता हैं, जहां हेलीकॉप्टर से किसी को उतार दिया जाता है। यहां कृष्णाजी को हम जनता पर थोप नहीं रहे। वह जनता के बीच सालों से सक्रिय कार्यकर्ता हैं और जनता की पसंद भी है। महिलाओं के बीच उनका अच्छा दखल है। व मेरे ही नहीं हर परिवार की बहू-बेटी हैं।

 

पांच सवाल, कृष्णा गौर से

सवाल – टिकट की जद्दोजहद में सब लगे हुए हैं आप भी कतार में हैं क्या सोचते टिकट मिलेगा या ससूर को ही फिर मौका मिलेगा?
जवाब- पार्टी जिसे टिकट दे दें। यह पार्टी को तय करना है। पार्टी को चुनाव लड़ाना है। पार्टी और संगठन दोनों जिसका नाम तय कर दें, उन्हें टिकट मिल जाए। वह जीत जाए। यह निर्णय पार्टी का है कि वह दोनों में से किसे टिकट दें।
सवाल- आप उनके लिए टिकट मांग रहे या खुद के लिए?
जवाब- हम पार्टी के लिए काम करते हैं। पार्टी की विचारधारा के अनुसार काम किया जा रहा है। मेरा मूल्यांकन पार्टी अलग करेगी और बाबूजी का अलग। बाबूजी ने पूरी उम्र पार्टी के लिए काम किया। मैं भी काम कर रही हूं। विभिन्न पदों पर जिम्मेदारियां निभाई और अब भी पार्टी के लिए काम कर रही हूं। हां, यह जरुर हैं कि पार्टी के हर कार्यकर्ता की इच्छा होती है कि वह चुनाव लड़े और आगे बड़े।
– पार्टी, उम्र की भी बात कर रही और नए चेहरे की भी यह दोनों ही क्राइटेरिया आपके परिवार में हैं और गोविंदपुरा सीट पर लागू ही यह सामने आ रहा है?
जवाब- (जोर से हंसते हुए…) बतौर विधायक मैं नया चेहरा हो सकती हूं, लेकिन पार्टी के लिए नया चेहरा तो नहीं हूं। कई पद पर पार्टी के लिए काम कर चुकी हूं और महापौर भी रही हूं। महामंत्री भी हूं। अब उम्र और चेहरे को लेकर पार्टी मूल्यांकन करेगी। इस बार के चुनाव में सर्वे पर सब निर्भर है। सर्वे में उम्मीदवार का व्यवहार, काम, आदि देखा जा रहा है। नये चेहरे को लेकर भी सर्वे में ही सबकुछ हैं।
सवाल- बाबूजी (बाबूलाल) को टिकट मिला तो आप क्या करेंगे, क्या रणनीति रहेगी?
जवाब- पार्टी व उम्मीदवार को जिताना ही हमारा लक्ष्य होता है। मैं जैसे अभी काम कर रही हूं, वैसे ही काम करती रहूंगी। पार्टी जो काम देगी वो करूंगी।
सवाल – एक ही परिवार की बात कर रहे तो यह वंश्वाद-परिवार वाद नहीं होगा?
जवाब- पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वंशवाद-परिवार वाद की परिभाषा स्पष्ट कर चुके हैं। जनता के बीच से चुनकर आने वाला व्यक्ति इस दायरे में नहीं आता है। जनता मुझे पसंद करेगी तो अच्छा नहीं करेगी तो अच्छा। लेकिन जनता मुझे पसंद कर चुनती हैं तो यह परिवार वाद या वंशवाद कैसे हुआ। जनता मुझे पसंद कर रही है तो इसलिए यह कहना गलत है कि यह परिवार वाद हैं।

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