कार्यक्रम की शुरुआत स्वारांजलि से हुई। जिसमें एक साथ 70 नृत्यांगनाओं ने भगवान शिव को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद एक घंटे की नृत्य नाटिका श्रीकृष्णचरितम का मंचन किया गया। इस नाटिका में 10 दृश्यों के माध्यम कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत नीरजा सक्सेना ने मां यशोदा की लोरी.. दृश्य से की। उनकी इस सोलो परफॉर्मेंस के बाद उनका माटी खाना दृश्य 2 बाल कलाकारों ने पेश किया गया। अगली प्रस्तुति में बांका कन्हैया, मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो, गोवर्धन पर्वत लीला, कालिया मर्दन, वस्त्र हरण लीला, माखन चोरी लीला, नरसिंह अवतार मीरा और रास आदि झलिकयों का वर्णन किया गया।
कृष्ण भक्ति से सजी इस शाम में कलाकारों ने वस्त्र हरण और माखन चोरी के दृश्य को राग काम्बुनी में पेश किया। जो त्रिस्यत्रिपुट ताल में निबद्ध थी। वहीं, मीरा राग माया महल्हार में, नरसिंह अवतार राग मालिका और तला खंड चापु में निबद्ध था। कालियामर्दन का दृश्य राग पुन्नगवरली आदि में निबद्ध रहा। वहीं, मां यशोदा की लोरी मिश्रित और ताल चतुरस्य एकम में निबद्ध रही। कार्यक्रम का निर्देशन नीरजा विशाल सक्सेना ने किया।